सिद्धनाथ महादेव :- डूंगरपुर मार्ग पर सागवाड़ा से करीब 13 किमी दूर ग्राम पंचायत ठाकरड़ा में स्थित प्राचीन सिद्धनाथ महादेव मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र है। गोमती नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में सोमवार, एकादशी, पूर्णिमा और श्रावण मास में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ती है। मंदिर में हर साल शिवरात्रि और दीपावली के समय बड़े से मेले का आयोजन किया जाता है। मंदिर का निर्माण मेघ-बड़नागरा जाति के नागर ब्राह्मण ने करवाया था।
मंदिर का विस्तार करीबन 90 बिगहा तक फैला हुआ है। पास के विस्तार में विभिन्न प्रकार के 200 से 300 वृक्षों को लगाकर वृक्षारोपण किया गया है।
मंदिर का इतिहास
सिद्धनाथ महादेव से जुड़ी पौराणिक कहानियाँ
ठाकरड़ा गांव के पश्चिमी छोर से एक टेकरी पर गाय के दूध से अभिषेक कर दिया जाता था। लेकिन वहाँ शिवलिंग की जलाधारी नहीं थी। गांव के ब्राह्मण को भगवान शिव ने स्वप्न में काशी विश्वनाथ होने और गौमती के तट पर प्रकट होने की जानकारी दी और कहा कि जलाधारी काशी से ले आओ। तब यहां से भट्ट परिवार के सदस्य जलाधारी लेने काशी पहुंचे। स्वप्न में भगवान शिव द्वारा ब्राह्मण को पतली लकड़ी के बीच में जलाधारी डालकर लाने को कहा। ब्राह्मण और उनके सहयोगी जलाधारी को लकड़ी में पिरोकर कंधे पर उठा कर लाए जो आज भी मंदिर में स्थापित है।
रूद्राक्ष जैसा है शिवलिंग
मंदिर में ब्रह्माजी, रिद्धि-सिद्धि गणेश, शंकर पार्वती, दो नंदी प्रतिमाओं सहित गर्भगृह में भगवान सिद्धनाथ का स्वयंभू शिवलिंग है जो रूद्राक्ष जैसा प्रतीत होता है। यहां पर मां पार्वती की चार कलात्मक प्रतिमाएं है। पास के देवालय में भगवान लक्ष्मीनारायण की विशाल प्रतिमा है। शिवालय के पास एक कुंड में बारह मास पानी रहता है।
प्राचीन मंदिर फोटो