डूंगरपुर/आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे करती है, लेकिन धरातल पर स्थिति इससे एकदम उलट है। डूंगरपुर में 8 हजार स्टूडेंट वाले जिले के सबसे बड़े श्रीभोगीलाल पंड्या (एसबीपी) कॉलेज का खंडहर भवन इन दावों की पोल खोलता है।
हालात ये हैं कि इन कमरों में बैठकर पढ़ाई करना तो दूर नजदीक से गुजरना भी खतरे से खाली नहीं है। कभी प्लास्टर तो कभी छत और कभी दीवारें गिर रही हैं। बारिश के मौसम में यह खतरा दोगुना हो जाता है।
आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिले में उच्च शिक्षा को लेकर भवन की हालत बद से बदतर है। आजादी के बाद उच्च शिक्षा के लिए सरकार की ओर 1961 में डूंगरपुर मुख्यालय पर श्रीभोगीलाल पंड्या (एसबीपी) कॉलेज की शुरुआत की गई, लेकिन समय के साथ ये भवन पूरी तरह से खंडहर हो गया है। आगे और सबसे पीछे के सिर्फ 20 कमरे ही नए हैं। बीच का पूरा भवन खंडहर है।
पुराने भवन की हालत है कि इसकी छत, दीवारें सब कुछ खत्म हो गया है। प्लास्टर कभी भी गिर जाता है। छत टूटकर गिर सकती है तो दीवारें भी सुरक्षित नहीं हैं। इसके नीचे बैठकर पढ़ाई करना तो दूर नीचे से गुजरना और आसपास खड़े रहना भी खतरे से खाली नहीं है। पुराने भवन में कई बार प्लास्टर, छत और दीवारें गिरने की घटनाएं हो चुकी हैं। अब बारिश का मौसम शुरू होने के साथ ही खतरा और बढ़ गया है। हालांकि अभी तक बड़ा हादसा नहीं हुआ है, लेकिन सरकार और प्रशासन के साथ कॉलेज ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो कभी बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
20 कमरों में ही प्रिंसिपल रूम समेत क्लासेज जिले का सबसे बड़ा कॉलेज होने से यहां 8 हजार से ज्यादा स्टूडेंट रेगुलर पढ़ाई करते हैं। जबकि इतने ही स्टूडेंट प्राइवेट में एडमिशन लेते हैं। इनको बैठाने के लिए 20 कमरे ही हैं। इन कमरों में ही प्रिंसिपल रूम, स्टाफ रूम, एकेडमी रूम, लाइब्रेरी समेत कई दूसरी व्यवस्थाएं भी हैं। ऐसे में क्लासेज चलाने के लिए सिर्फ 15 कमरे ही हैं। कमरों की कमी की वजह से कई क्लासेज भी रेगुलर नहीं चल रही हैं। जिस वजह से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
एग्जाम टाइम पर सबसे बड़ी मुश्किल एसबीपी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. गणेशलाल निनामा ने बताया कि सबसे बड़ी मुश्किल एग्जाम के समय रहती है। 8 हजार स्टूडेंट के एक साथ एग्जाम करवाने के लिए बैठक का इंतजाम करना बड़ी परेशानी है। कमरों की कमी की वजह से कई बार स्टूडेंट को बरामदे में बैठाकर परीक्षाएं लेनी पड़ रही हैं। वहीं एक साथ 8 हजार स्टूडेंट को बैठाने की भी जगह नहीं है।
133 कमरों की जरूरत एसबीपी कॉलेज में 8 हजार स्टूडेंट रेगुलर एडमिशन लेते हैं। एक कमरे में 60 स्टूडेंट को बैठाया जा सकता है। इस हिसाब से देखें तो 8 हजार स्टूडेंट को बैठाकर पढ़ाने के लिए 133 कमरों की जरूरत है। यानी एसबीपी कॉलेज में करीब 113 कमरों की कमी है। ये कमरे बनते हैं तो कॉलेज में सभी क्लासेज को एक साथ चलाया जा सकता है।
अब भी बजट का इंतजार एसबीपी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. गणेश निनामा ने बताया कि कॉलेज के खंडहर भवन की जगह पर नया भवन बनाने के लिए नया प्रपोजल तैयार कर लिया है। नए भवन के लिए 126 करोड़ रुपए का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेज दिया है। प्रस्ताव भेजने के बाद सीएम भजनलाल शर्मा ने अपने बजट घोषणा में एसबीपी कॉलेज भवन के नवनिर्माण कार्य को शामिल किया है। प्रिंसिपल डॉ. गणेश निनामा ने बताया कि प्रथम चरण में कॉलेज भवन के लिए 60 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत करने की जानकारी मिली है। वहीं जैसे ही बजट मिलेगा कॉलेज भवन का पुनर्निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।