नई दिल्ली।सांसद राजकुमार रोत ने देश के अनुसूचित क्षेत्रों में 5वीं अनुसूची प्रभावी रूप से लागु नही होने को लेकर संसद में मुद्दा उठाया।
संसद के शीतकालिन सत्र के दौरान बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत ने शिड्युल एरिया की आवाज उठाते हुए कहा कि संविधान में जो 5वीं अनुसूची व 6वीं अनुसूची का प्रावधान किया गया है, उसे आज भी पूर्ण रूप से धरातल पर लागु नही किया जा रहा है।
5वीं अनुसूची के तहत जो पैसा एक्ट की ग्राम सभाएं बनाने का प्रावधान किया गया, उनसे किसी भी प्रकार की स्वीकृति नही ली जाती है, जबकि किसी भी क्षेत्र में कोई प्रोजेक्ट या परियोजना लागु होती है तो संबंधित ग्राम सभा से अनुमति लेनी होती है लेकिन हजारों आदिवासियों को विस्थापित करके सिर्फ एक लाईन लिख देते हैं कि राष्ट्रहित में। ऐसा राष्ट्रहित कर कौनसे उद्योगपति को लाभ पहुंचाया जा रहा है।
साथ ही कहा कि एक तरफ तो संसद में बिरसा मुण्डा जयन्ती मनाई जा रही है और संविधान दिवस की वर्षगांठ मनाते है, वही दुसरी और आदिवासियों के हितों एवं उनके संरक्षण के लिए बनी 5वी अनुसूची के प्रावधानों को धरातल पर आज दिनांक तक लागु नही किया गया है।
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देश आजाद हुए 75 साल हो जाने के बाद भी 5वीं अनुसूची को लागु नही करना यह दर्शाता है कि सरकारों की आदिवासियों के प्रति क्या मानसिकता है। आज इस प्रकार सांसद राजकुमार रोत ने देश में आदिवासी समाज के हितों वाली 5वीं अनुसूची के प्रावधान, विशेष रूप से पैसा एक्ट की ग्रामसभाओं का सही से क्रियान्वयन नहीं होने, अनुसूचित क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों की लूट और वर्तमान में हो रहे आदिवासियों के विस्थापन जैसी गंभीर समस्याओं को सदन के सामने रखा।