राज परिवार ने जगदीश मंदिर राजाजी की छत्री में प्रस्तावित पादुका प्रतिष्ठा और चादर भंडारा पर जताई आपत्ति, लक्ष्मण निधी देवस्थान ट्रस्ट का मंदिर होने से कार्यक्रम को अवैध बताया

डूंगरपुर शहर के तहसील चौराह पर स्थित जगदीश मंदिर राजाजी की छत्री में महंत राधाकृष्णदासजी महाराज के निधन के बाद आगामी 7 और 8 अक्टूबर को प्रस्तावित स्मृति महोत्सव, पादुका प्रतिष्ठा और भव्य चादर भंडारा उत्सव में अब में राजपरिवार ने पूरे कार्यक्रम को अवैध बताते हुए।

कानूनी कार्रवाई करते हुए अवैध आयोजन को रुकवाने की बात कही। उन्होंने मंदिर का स्वामित्व लक्ष्मण निधी ट्रस्ट का है। ऐसे में राजपरिवार की अनुमति के बिना हो रहे कार्यक्र्म को अवैध बताया। वही मंदिर में बैठे लोगों को बाहर निकालने के लिए कानूनी कार्रवाई की जानकारी दी।

डूंगरपुर शहर के मध्य में जगदीश मंदिर राजाजी छत्री में प्रस्तावित दो दिवसीय पादुका प्रतिष्ठा और चांदर भंडारा को लेकर राजपरिवार आज खुलकर सामने आया। पूर्व राज्यसभा सांसद महारावल हर्षवर्धनसिंह ने बताया कि मंदिर लक्ष्मण निधी ट्रस्ट का निजी श्रेणी में आता हैं।

राजपरिवार की ओर से पूर्व में पुजारी-महंत राधाकृष्णदास को मनोनित किया था। महंत के दुराचार की शिकायत पर उनके खिलाफ कोर्ट में दोषी पाया गया था। जिस पर 1992 में ट्रस्ट के अध्यक्ष महारावल लक्ष्मणसिंह ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद महंत ने पुन: कोर्ट की शरण ली थी। जिसके बाद उच्च अदालत ने वर्ष 2007 को महंत को दोषी माना गया था।

महंत ने वयोवृद्ध अवस्था में अपनी सेवा के लिए दो भतिजों को बुलाया था। इसके बाद महंत की मृत्यु होने के बाद दोनो भतिजे लवकुश ने स्वयं भू महंत बनकर लोगों ने चंदा एकत्रित कर भंडारा, विशाला गादी पूजन और चरण पादुका प्रतिष्ठ उत्सव कर रह है। जिसमें राजपरिवार और लक्ष्मण निधी ट्रस्ट की ओर से कोई अनुमति नही दी गई है। उन्होंने पुलिस, जिला प्रशासन और न्यायलय से मंदिर में काबिज स्वयं भू महंत लवकुश और उसके भाई के खिलाफ कानूनी रुप से बाहर निकालने और ऐसे धार्मिक आयोजन को रदद करने की बात कही।

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