New Parliament Building: ‘संसद का यह भवन नए भारत के सृजन का आधार बनेगा’, पढ़ें PM मोदी के भाषण की 10 अहम बातें

पीएम मोदी ने कहा कि साथियों ये सिर्फ एक भवन नहीं है। एक राष्ट्र के रूप में हम सभी के लिए 140 करोड़ का संकल्प ही इस संसद की प्राण प्रतिष्ठा है। यहां होने वाला हर निर्णय ही, आने वाले समय को संवारने वाला है।

देश को नया संसद भवन मिल चुका है। पीएम मोदी ने पूरे विधि-विधान से इसका उद्घाटन किया। नए भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है। नई संसद के पहले दिन पीएम मोदी ने मौजूद गणमान्य लोगों को संबोधित किया। आइए जानते हैं, 10 बिंदुओं में कि पीएम नरेंद्र मोदी ने और क्या कुछ कहा-

पीएम मोदी ने कहा कि हर देश की विकास यात्रा में कुछ पल ऐसे आते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो जाते हैं। कुछ तारीखें समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। आज 28 मई 2023 का यह दिन ऐसा ही शुभ अवसर है। देश आजादी के 75 वर्ष होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। इस महोत्सव में भारत के लोगों ने अपने लोकतंत्र को संसद के इस नए भवन का उपहार दिया है।

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उन्होंने कहा कि साथियों ये सिर्फ एक भवन नहीं है। एक राष्ट्र के रूप में हम सभी के लिए 140 करोड़ का संकल्प ही इस संसद की प्राण प्रतिष्ठा है। यहां होने वाला हर निर्णय ही, आने वाले समय को संवारने वाला है। संसद की हर दीवार, इसका कण-कण गरीब के कल्याण के लिए समर्पित है। उन्होंने आगे कहा कि संसद का यह नया भवन, भारत के सृजन का आधार बनेगा।

संसद की इस नई इमारत में सेंगोल की स्थापना को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ का, सेवा पथ का, राष्ट्रपथ का प्रतीक माना जाता था। राजाजी और आदिनम के संतों के मार्गदर्शन में यही सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। मोदी ने कहा कि मुझे तमिलनाडु से विशेष तौर पर आए हुए आदिनम के संत ने आशीर्वाद दिया। मैं उन्हें पुनः नमन करता हूं।

नरेंद्र मोदी ने नई संसद में कहा कि जब भी इस संसद भवन में कार्यवाही शुरू होगी। यह सेंगोल हम सभी को प्रेरणा देता रहेगा। भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी भी है। भारत आज वैश्विक लोकतंत्र का बहुत बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ एक व्यवस्था ही नहीं, एक संस्कार है, एक विचार है, एक परंपरा है।

उन्होंने कहा कि कोई भी एक्सपर्ट अगर पिछले नौ वर्षों का आकलन करे तो पाएगा कि यह नौ वर्ष गरीबों के कल्याण के लिए रहे हैं। मुझे पिछले नौ साल में गरीबों के लिए चार करोड़ घर बनने का संतोष है। हम जब इस भव्य इमारत को देखकर अपना सिर ऊंचा कर रहे हैं, तो हम नौ साल में बने 11 करोड़ शौचालय को देखकर गर्व कर रहे हैं। चार लाख किमी से ज्यादा सड़कों का निर्माण किया। हमने चार साल में अमृत सरोवरों का निर्माण किया। हमने 30000 से ज्यादा पंचायत भवन भी बनाए हैं। यानी पंचायत भवन से लेकर संसद भवन तक हमारी निष्ठा एक ही है। हमारी प्रेरणा एक रही है। देश का विकास, देश के लोगों का विकास।

पीएम मोदी ने पुरानी संसद में आने वाली परेशानियों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि साथियों संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना मुश्किल हो रहा था, यह हम सभी जानते हैं। तकनीक, बैठने की जगह से जुड़ी चुनौतियां थीं। हमें यह भी देखना था कि आने वाले समय में सीटों की संख्या बढ़ेगी, सांसदों की संख्या बढ़ेगी तो वे कहां बैठेंगे। इसलिए यह समय की जरूरत थी कि संसद के नए भवन का निर्माण किया जाए।

उन्होंने कहा कि नया संसद भवन नए सुविधाओं से लैस है। आप देख सकते हैं कि इस वक्त भी सूर्य का प्रकाश सीधे आ रहा है। इसमें तकनीक का पूरा ध्यान रखा गया है। पीएम ने कहा कि इस नई इमारत के लिए करीब 60 हजार श्रमिकों ने अपना पसीना बहाया है। मुझे खुशी है कि इनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलरी भी संसद में बनाई गई है। विश्व में शायद यह पहली बार हुआ होगा।

एक ऐसा समय भी आया था, जब हम दूसरे देशों को देखकर मुग्ध होने लगे। लेकिन 21वीं सदी का भारत अब गुलामी की उस सोच को पीछे छोड़ रहा है। आज भारत प्राचीन काल की उस कला के गौरवशाली गाथा को, अपनी ओर मोड़ रहा है और संसद की यह नई इमारत इस जीवंत प्रयास का प्रतीक बनी है। आज नए संसद भवन को देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है।

इस भवन में विरासत भी है, वास्तु भी है। इसमें कला भी है, कौशल भी है। इसमें संस्कृति भी है और संविधान के स्वर भी हैं। आप देख रहे हैं कि लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर पर आधारित है। राज्यसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है और संसद के प्रांगण में हमारा राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है।

हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों की जो विविधता है, इस नए भवन ने उन सबको समाहित किया है। इसमें राजस्थान से लाए बलवा पत्थर लगाए गए हैं। ये जो लकड़ी का काम है, वह महाराष्ट्र से आई है। यूपी में भदोही के कारीगरों ने अपने हाथ से कालीनों को बुना है। एक तरह से इस भवन के कण-कण में हमें एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना के दर्शन हुए हैं।

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