राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में हुआ पारंपरिक शस्त्र पूजन

सागवाड़ा। विजयादशमी पर्व एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शताब्दी महोत्सव के अवसर पर टामटिया में पारंपरिक शस्त्र पूजन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता, संघ संस्थापक डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार और माधव सदाशिव गोलवलकर की तस्वीरों पर माल्यार्पण से हुई। इसके बाद गणवेषधारी स्वयंसेवकों, मातृशक्ति और अन्य नागरिकों ने मिलकर शस्त्र पूजन किया। इस अवसर पर 55 गणवेषधारी स्वयंसेवक, 35 से अधिक मातृशक्ति और 80 से ज्यादा पुरुष उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में अतिथि परिचय अखिलेश पंड्या ने कराया, जबकि प्रार्थना प्रमोद भट्ट और विजया दशमी अवतरण वाचन नमन पंड्या ने किया। मुख्य बौद्धिक कर्ता सूरज पाटीदार ने सारगर्भित उद्बोधन देते हुए कहा कि भारतीय कुटुंब व्यवस्था विश्व प्रसिद्ध है और हमें विश्व से वही अपनाना चाहिए जो हमारी आवश्यकता के अनुरूप हो। उन्होंने स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता का उदाहरण देते हुए भारतीय आध्यात्मिकता की विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

सूरज पाटीदार ने पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा से आने वाले सामाजिक परिवर्तन और कर्तव्यों के बोध पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि आज हर कोई अपने अधिकारों की बात करता है लेकिन कर्तव्यों की चर्चा कम होती है।

मुख्य अतिथि शिक्षाविद दिनेशचंद्र पंड्या राही ने अपने उद्बोधन में संघ की गतिविधियों व राष्ट्र निर्माण में उसकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश तीव्र गति से प्रगति कर रहा है और भविष्य में संघ राष्ट्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में अहम योगदान देगा। कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना, ध्वज अवतरण, मां अंबाजी की सामूहिक आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ।

इसी दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से नन्दौड़ में स्वामी विवेकानंद शाखा द्वारा विजयादशमी उत्सव बड़े उत्साह और अनुशासन के साथ मनाया। यह पर्व संघ के छह मुख्य उत्सवों में से एक है, जो शक्ति और विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

मुख्य अतिथि हेमेन्द्र भट्ट एवं मुख्य वक्ता जिला कार्यवाह दीपक ने शस्त्र पूजन किया जिसमें स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में भाग लिया। अतिथियों ने संघ के संस्थापक डा. हेडगेवार, गुरुजी और भारत माता की चित्र पर माल्यार्पण किया। मुख्य वक्ता जिला कार्यवाह दीपक ने विजयादशमी उत्सव का महत्व बताते हुए राष्ट्र भक्ति और अनुशासन पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि यह पर्व अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है और हमें भगवान श्री राम के आदर्शों के पदचिह्नों पर चलते हुए उनके आदर्शों का अपने जीवन में उतारना चाहिए। जिला कार्यवाह ने संघ के शताब्दी वर्ष में चल रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन और नागरिक कर्तव्य जैसे विषयों पर जोर दिया।

उन्होंने बताया कि शक्ति का प्रदर्शन तभी आवश्यक होता है जब अन्याय बढ़ जाए, इसलिए संगठित रहना कलियुग में सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने संघ की 100 वर्षों की यात्रा के दौरान आई समस्याओं और विजयादशमी पर्व के महत्व पर चर्चा की। बोद्धिक में बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों और ग्रामवासियों ने भाग लिया।

 

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