उदयपुर। नारायण सेवा संस्थान ने रविवार को लियों का गुड़ा परिसर में एक विशेष आयोजन किया, जिसमें 51 दिव्यांग और निर्धन जोड़े विवाह बंधन में बंधे। इस नि:शुल्क सामूहिक विवाह समारोह ने समाज में एक अनूठा संदेश दिया कि सच्चा जीवनसाथी वही होता है जो हर परिस्थिति में साथ निभाए।
इस विवाह समारोह में ऐसे जोड़े भी शामिल रहे जिनमें वर और वधू दोनों पैरों से दिव्यांग थे, कोई आंखों से अक्षम था तो किसी के हाथ-पैर प्रभावित थे। इन सभी में से अधिकांश की सर्जरी संस्थान में ही हुई थी और बाद में यहां के नि:शुल्क सिलाई, मोबाइल रिपेयरिंग और कंप्यूटर प्रशिक्षण जैसे कोर्स पूरे करने के बाद उन्होंने जीवनसाथी की तलाश भी यहीं से पूरी की।
बिंदोली और विवाह रस्में
समारोह की शुरुआत धूमधाम से बिंदोली निकालकर हुई। गाजे-बाजे के साथ बाराती और घराती झूमते हुए नाचते रहे। इसके बाद पुष्पवर्षा के बीच तोरण और वरमाला की रस्म पूरी की गई। सात फेरे लेकर जोड़े एक-दूसरे के जीवनसाथी बने।
उपहार और कन्यादान
नवविवाहित जोड़ों को नई गृहस्थी बसाने के लिए बर्तन, गैस-चूल्हा, संदूक, क्रॉकरी, स्टील कोठी, पलंग, बिस्तर, पंखा और दीवार घड़ी जैसी आवश्यक सामग्री उपहार में दी गई। वहीं कन्यादान व अतिथियों की ओर से मंगलसूत्र, चूड़ियां, चैन, कर्णफूल, नाक की बाली, बिछिया और पायल भी भेंट किए गए।
विदाई का भावुक पल
विवाह के बाद बेटियों को प्रतीकात्मक डोली में बैठाकर विदा किया गया। यह दृश्य बेहद भावुक और मार्मिक रहा। बाद में सभी जोड़ों को संस्थान की ओर से वाहनों और बसों के माध्यम से रेलवे स्टेशन और उनके गांव-शहरों तक सामग्री समेत पहुंचाया गया।
इस दौरान संस्थान के संस्थापक पद्मश्री कैलाश मानव ने सभी नवदंपत्तियों को आशीर्वाद दिया और उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।