नेमा समाज की महिलाओं ने लिया प्रकृति के संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग का संकल्प

सागवाड़ा। नेमा समाज महिला मंडल ने विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस तथा श्रावण मास अनुष्ठान के तहत वांदरवेड के माही नदी किनारे स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में भजन कीर्तन के साथ वनभ्रमण व गोष्ठी की।

मंडल की अर्चना दोसी ने बताया कि मंदिर में दर्शन के बाद भजन कीर्तन हुआ। महिलाओं ने समूह रूप में ‘कैलाश के निवासी नमो बार बार हूं, आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू’, ‘पर्वत पर बैठी गौरी करके इंतजार, भोले को मिलने को है बेकरार’ सहित शिवोपासना से जुड़े कर्णप्रिय भजन गाये।

गोष्ठी में पिंकी कोठारी ने कहा कि  महिलाएं प्रकृति संरक्षण व संवर्धन में बडा योगदान दे सकती हैं। प्रकृति संरक्षण संरक्षण किसी भी मानवीय हस्तक्षेप के बिना प्रकृति के स्वरूप को बनाने वाले तत्वों का संरक्षण है।

मंडल ने घर में उपयोग के बाद आम, जामून, आंवला, सीताफल, इमली, कीकर, बेर, खिरनी के बीजों को एकत्रित कर चिकनी मिट्टी व कंपोस्ट खाद के साथ उनके सीड्स बोल बनाकर वाहन से बाहर जाने पर दूरस्थ जंगली इलाके में फेंकने का निर्णय लिया।

पौधरोपण के साथ सामूदायिक जिम्मेदारी निभाते हुए अपने आसपास लगे पौधों का संरक्षण व संवर्धन करने व प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करने का संकल्प लिया।

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