प्रतापगढ़, बांसवाड़ा और उदयपुर ज़िलों में दर्ज हुई एफआईआर, एनजीओ ऑफिस पर ताले
जयपुर। राइजिंग राजस्थान एजुकेशन प्री-समिट में शिक्षा के क्षेत्र को मज़बूत बनाने के लिए 305 करोड़ रुपये का एमओयू करने वाला शौर्य फाउंडेशन अब विवादों में घिर गया है। बेरोज़गार युवाओं के साथ धोखाधड़ी के आरोपों में संस्था के ख़िलाफ़ बांसवाड़ा, उदयपुर और प्रतापगढ़ ज़िलों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है। सूत्रों के मुताबिक संस्था के तार सत्ताधारी दल के नेताओं से जुड़े बताए जा रहे हैं। संस्था के कार्यालयों पर ताले लटके हैं और ज़िम्मेदार लोग फ़रार बताए जा रहे हैं। यह एमओयू शौर्य फाउंडेशन की ओर से साइन किया था। आरोप है कि सत्ता के दबाव में शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी भी इस खेल में शामिल रहे।
परियोजना की रूपरेखा
योजना के तहत सात जिलों के राजकीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम स्थापित करने, कुछ विद्यालयों को गोद लेने, नवीन भवन निर्माण और संसाधन उपलब्ध कराने की बात कही गई थी। इसके अलावा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में वीडियो कॉन्फ्रेंस सेटअप लगाने और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने का वादा किया गया था।
आरोप: बेरोज़गारों से वसूली
मामले के खुलासे में सामने आया कि बेरोज़गार युवाओं को विद्यालयों में लगाने के नाम पर वसूली की गई। अब आरोपित ज़िम्मेदार फ़रार हैं। शिक्षा विभाग ने संबंधित पत्रावलियाँ मांगी थीं, लेकिन दबाव के चलते पूरा मामला दबाए जाने की चर्चा है।