जयपुर/नए जिलों और संभाग के बाद सरकार अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के रिव्यू की तैयारी कर रही है। गहलोत राज में खुले 3741 इंग्लिश मीडियम स्कूल या तो बंद हो सकते हैं या फिर उन्हें मर्ज किया जा सकता है।
सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूलों का रिव्यू करने के लिए डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में एक कैबिनेट सब कमेटी बनाई है। कमेटी में स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और खाद्य मंत्री सुमित गोदारा को मेंबर बनाया गया है।
कमेटी को जिलेवार अंग्रेजी मीडियम स्कूलों का रिव्यू करके सरकार को रिपोर्ट देनी है। रिव्यू के बाद ही अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को बंद करने या इन्हें जारी रखने पर फैसला किया जाएगा। दरअसल, भाजपा नेताओं ने विपक्ष में रहने के दौरान अंग्रेजी मीडियम स्कूलों पर आपत्ति जताते हुए सरकार बनने पर उनका रिव्यू करने का ऐलान किया था।
कई स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ और इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं कांग्रेस राज के दौरान खोले गए अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को लेकर कई जगह से आपत्ति आई थी। कई जगहों पर हिंदी मीडियम स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम में बदल गया था। वहां पर पर्याप्त स्टाफ नहीं होने से बच्चों को अंग्रेजी मीडियम में पढ़ाई करने में अब भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के रिव्यू के बाद इन पर फैसला करने के तीन विकल्प हैं। जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या कम है और पर्याप्त स्टाफ व इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है, उन स्कूलों को बंद करने पर फैसला हो सकता है। दूसरा विकल्प उन अंग्रेजी स्कूलों को हिंदी मीडियम में बदलने का है और तीसरा विकल्प मर्ज करने का है।
अंग्रेजी स्कूलों पर पहले भी हो चुका सियासी विवाद पिछली कांग्रेस सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान खोले गए महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों पर खूब सियासी विवाद होता रहा है। बीजेपी ने इन स्कूलों पर पहले भी सवाल उठाए थे। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने सरकार बनते ही अंग्रेजी मीडियम स्कूलों को बंद करने के संकेत दिए थे। लेकिन, बाद में मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
विधानसभा के बजट सत्र में हो सकता है हंगामा सरकार ने विधानसभा के बजट सत्र से ठीक पहले अंग्रेजी स्कूलों का रिव्यू करने के लिए कमेटी बनाकर नए सिरे से विवाद की शुरुआत कर दी है। कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार को घेरेगी। विधानसभा सत्र इस बार हंगामेदार रहेगा। कांग्रेस पहले भी बीजेपी सरकार को अंग्रेजी मीडियम स्कूल बंद करने के शिक्षा मंत्री के पुराने बयानों और फिर यू-टर्न को लेकर घेरती रही है।
अंग्रेजी स्कूलों के लिए शिक्षकों का अलग कैडर नहीं बना गहलोत सरकार ने अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के लिए 10 हजार टीचर भर्ती करने और इनके शिक्षकों का अलग से कैडर बनाने की घोषणा की थी। गहलोत सरकार की घोषणा पूरी नहीं हुई और बाद में सरकार बदल जाने से प्रक्रिया अटक गई। सरकार बदलने के बाद अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के शिक्षकों का अलग कैडर बनाने के काम पर ब्रेक लग गया।
बैरवा जिलों की रिव्यू कमेटी के संयोजक बने थे, बाद में दिलावर को दी जिम्मेदारी डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को पहले गहलोत राज के जिलों का रिव्यू करने वाली मंत्रियों की कमेटी के संयोजक की जिम्मेदारी दी गई थी। मंत्रियों की कमेटी ने दूदू जिले को खत्म करने की सिफारिश की थी। दूदू बैरवा का विधानसभा क्षेत्र है। उनके कमेटी के संयोजक रहते दूदू जिला खत्म होने से सियासी रूप से उन्हें नुकसान हो रहा था, इसलिए कमेटी में उनकी जगह दिलावर को जिम्मेदारी दी गई। अब बैरवा को अंग्रेजी मीडियम स्कूल बंद करने के लिए रिव्यू कमेटी का संयोजक और अध्यक्ष बनाया गया है।
कांग्रेस का पलटवार, कहा-सरकार नहीं चाहती कि गरीबों के बच्चे अंग्रेजी शिक्षा हासिल करें अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के रिव्यू के लिए कमेटी बनाने पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने सरकार पर पलटवार किया है। गहलोत ने X पर लिखा- ऐसा लगता है कि भाजपा सरकार ने सरकारी स्कूली शिक्षा को बर्बाद करने का संकल्प कर लिया है।
वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इसे प्रदेश को पीछे धकेलने का विजन बताया है। उन्होंने कहा- भाजपा सरकार नहीं चाहती कि गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चे अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करें। जबकि भाजपा नेताओं के बच्चे महंगे स्कूलों और विदेशों में पढ़ते हैं। उन्हें डर है कि गरीब और वंचित वर्ग के बच्चे अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करके उनके बच्चों के बराबर न आ जाएं। इसके साथ ही बीजेपी सरकार प्राइवेट इंग्लिश मीडियम स्कूलों को फायदा पहुंचाना चाहती है।