सागवाड़ा। आचार्य आदिसागर अंकलीकर परंपरा के चतुर्थ पट्टाचार्य आचार्य सुनील सागरजी महाराज का नाम “रॉयल सक्सेस इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स” में दर्ज हुआ है। उन्हें “वॉइस ऑफ नॉलेज सन ऑफ रेनैसांस” की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।
यह सम्मान उन्हें 28 वर्षों की संयम साधना, 70 से अधिक साहित्यिक कृतियों की रचना, 191 से ज्यादा शिष्यों को दीक्षा देने और प्राकृत वाणी के पुनर्जागरण के लिए मिला है।
आदिसागर अंकलीकर अंतरराष्ट्रीय जागृति मंच की राष्ट्रीय अध्यक्षा प्रेरणा शाह और इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के डायरेक्टर जॉन प्रमुख डॉ. रंजीत जैन ने बताया कि इंटरनेशनल बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के डायरेक्टर एम हैरिस ने रविवार को प्रमाण पत्र जारी किया। इसमें बताया गया कि 21वीं सदी के अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड बुक 2025 में आचार्य को “द लिविंग एम्बॉडिमेंट ऑफ स्पिरिचुअल सेक्रिफाइस” यानी “आध्यात्मिक बलिदान का जीवंत अवतार” के रूप में शामिल किया गया है।
आचार्य सुनील सागर भारत के एकमात्र संत हैं जो प्राचीन प्राकृत भाषा में प्रवचन करते हैं। हाल ही में 29 मई से 3 जून तक उनका सागवाड़ा क्षेत्र में प्रवास हुआ। इस दौरान कोनफ्रेंस में उनका स्वागत सागवाड़ा में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव हुआ।