बांसवाड़ा। बांसवाड़ा जिले के मोटागांव से दो व्यापारी दोस्त सुरेश सोनी और हर्षित शर्मा लापता हो गए थे। घटना के 4 दिन बाद माही नदी के भीलूड़ा के पास सुरेश का शव तैरता मिला। अगले दिन नदी से उनकी कार भी बरामद हुई। तब माना जा रहा था कि यह एक हादसा था, जिसमें दोनों व्यापारी नदी में गिर गए थे और दोनों की लाशें मिलने की संभावना थी।
लेकिन जांच का रुख अचानक बदल गया, जब हर्षित शर्मा 8 दिन बाद रतलाम (मध्य प्रदेश) से जिंदा बरामद हुआ। यह जानकारी मिलने पर बांसवाड़ा पुलिस के होश उड़ गए। पुलिस ने उसे रतलाम के खमेरा थाने में रखा है और मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी है।
हर्षित बार-बार बदल रहा बयान, पुलिस गुमराह
पुलिस के अनुसार हर्षित लगातार बयान बदलकर गुमराह कर रहा है। शुरुआती जांच में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि यह हादसा था या कोई साजिश। मोटागांव पुलिस को 14 सितंबर को सूचना मिली कि हर्षित जिंदा हो सकता है और अहमदाबाद, मुंबई या रतलाम में हो सकता है। सूचना मिलने के बाद पुलिस ने मोबाइल कॉल डिटेल्स खंगाली और पूरी तरह आश्वस्त होकर रतलाम रवाना हुई। वहां हर्षित को दबोच लिया गया।
पुलिस के सामने गंभीर सवाल
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अगर यह वाकई हादसा था, तो हर्षित ने 8 दिन तक क्यों भागकर खुद को छुपाया?
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सुरेश की हत्या की संभावना क्यों नजर आ रही है?
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क्या हर्षित ने जान-बूझकर अपने चप्पलें कार में छोड़ी ताकि पुलिस को गुमराह किया जा सके?
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रतलाम पहुंचने में किसी तीसरे व्यक्ति की भूमिका है?
पुलिस ने हर्षित से 20 से अधिक प्रश्न पूछे हैं, जिनमें रिश्तों की जांच, पैसों के लेन-देन, पारिवारिक विवाद, प्रेम प्रसंग और परस्पर जलन शामिल हैं। हर बार हर्षित ने टाल-मटोल भरे जवाब दिए, जिससे पुलिस को संदेह बढ़ा है।
कॉल डिटेल्स में मिल सकता है खुलासा
पुलिस अब हर्षित, सुरेश, उनके परिवार, पत्नियों और दोस्तों के कॉल डिटेल्स खंगाल रही है। पांच-सात महीनों में हुई बातचीत से अहम सुराग मिलने की उम्मीद है। पुलिस मानती है कि इस मामले में सुरेश की हत्या की गहरी वजहें छिपी हो सकती हैं।
निष्कर्ष
पुलिस का प्राथमिक एंगल अब हत्या की आशंका है। जांच अधिकारियों का कहना है कि हर्षित को जब तक सही जवाब नहीं मिलता, तब तक वह संदिग्ध बना रहेगा। मामले की जांच जारी है, और आने वाले दिनों में नए खुलासे होने की उम्मीद है।