बांसवाड़ा/ठीकरिया, जिला मुख्यालय से पंद्रह किलोमीटर दूर मंगलिया दईड़ा के झेरपाड़ा गांव का ये जसवंत मावी है। दोनों हाथों एवं एक पैर से दिव्यांग है, लेकिन शिक्षा को लेकर जज्बा ऐसा है कि अपंगता को मात देकर हौंसले की उड़ान से आगे बढ़ रहा है।
कल तक स्कूल की डगर तक पहुंचने एवं शिक्षा अर्जित करने तक ही उसके चर्चे थे, लेकिन हाल ही में जब दसवीं का विशेष श्रेणी का परिणाम सामने आया तो उसने ये साबित कर दिखाया कि कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो अभाव आड़े नहीं आते है। जसवंत ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में सीडब्ल्यूएसन श्रेणी में 98.67 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। सेंट जोसफ उमावि रतनपुरा सुरवानिया के छात्र जसवंत ने हिन्दी, अंग्रेजी, सामाजिक अध्ययन, गणित, संस्कृत में 100 में से 100 अंक एवं विज्ञान में 92 अंक प्राप्त किए। सफलता का श्रेय पिता प्रकाश चंद्र, माता कांता व गुरुजनों को दिया। उसकी तमन्ना प्रशासनिक अधिकारी बनने की है।
कोहनी में कलम फंसाकर लेखन
जसवंत मावी बचपन से दो हाथों व एक पैर से दिव्यांग है। वो कोहनी में कलम फंसाकर सामान्य बच्चों की मानिंद लेखन कार्य करता है। उसकी हिन्दी व अंग्रेजी में सुंदर लेखनी देखकर शिक्षक भी दंग रह जाते है। स्कूल की दहलीज तक पहुंचने के बाद जब उसके इस हुनर को शिक्षकों ने देखा तो उसे पढ़ाई के लिए भी प्रोत्साहित किया। खासबात यह भी है कि दसवीं बोर्ड परीक्षा में राइटर की व्यवस्था के प्रावधान होने के बावजूद उसने किसी की मदद तक नहीं ली। स्वयं ही पर्चा हल किया एवं सफलता प्राप्त की।
बचपन से दिव्यांग, क्रिकेट भी खेलता है
जसवंत के पिता प्रकाश चंद्र बताते है कि बेटा बचपन से दिव्यांग है। बचपन से ही उसमें स्कूल के प्रति आकर्षण रहा। ऐसे में शिक्षा का सफर सतत रखा। परिजन हितेश मावी ने बताया कि जसवंत हमेशा खेल मैदान से जुड़ा रहता है। क्रिकेट भी खेल लेता है। उल्लेखनीय है कि परिवार की आर्थिक िस्थति अच्छी नहीं है। कच्चे मकान में परिवार गुजर बसर करता है। पात्रता के बावजूद कई सरकारी योजनाओं से परिवार दूर है।