सागवाड़ा/ कचोरी, समोसे जैसे कई खाद्य पदार्थों को अखबार के कागजों में दिया जा रहा है।
यह खाद्य विभाग की ओर से प्रतिबंधित हैं और इससे लोगों के शरीर में धीमा जहर भी इंक के रूप में पहुंच रहा है लेकिन विभाग व सागवाड़ा प्रशासन की ओर से ही कोई सख्ती नहीं बरती जा रही है।
दिवाली पर मावे और दूध की मिलावट को लेकर तो खाद्य विभाग सक्रिय हो जाता है लेकिन रोजाना चौबीसों घंटे कई लोग खाद्य पदार्थों को अखबार के कागजों में दे रहे हैं जिसमें लिखावट होने के कारण जब गरम खाद्य सामग्री उसमें रखी जाती है तो कहीं न कहीं खाद्य सामग्री में इंक भी लग जाती है।
जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर होता है लेकिन प्रतिबंधित होने के बाद भी कई गली, नुक्कड़ और चौराहों पर ऐसे नजारे आसानी से देखे जा सकते हैं। अखबार की स्याही लोगों के लिए किसी बड़ी बीमारी का कारण भी बन सकती है।