डूंगरपुर/मुस्लिम समाज का सामूहिक विवाह समारोह रविवार को धूमधाम से आयोजित किया गया, जिसमें 34 जोड़ों ने एक साथ निकाह कबूल किया। दूल्हों की बिनौली पुराने शहर से गुजरते हुए निकाली गई, जिसमें बैंड-बाजे की धुनों और रौनक में लोग शादी की खुशियों में झूमते नजर आए।
सामूहिक विवाह की तैयारियां
रविवार सुबह से ही आयोजन की तैयारियां शुरू हो गई थीं। दोपहर में विभिन्न जगहों से दूल्हा-दुल्हन और उनके परिवार डूंगरपुर पहुंचे। सेहरा बांधे दूल्हों और सजधज कर आए बारातियों ने बैंड-बाजे की धुन पर रौनक बढ़ाई। सभी बाराती सीरत कमेटी से बिनौले के रूप में पुराने शहर से होते हुए घाटी स्थित निसार ए हाली स्कूल पहुंचे। यहां दुल्हन पक्ष और कमेटी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
निकाह की रस्में
सामूहिक विवाह की रस्में निसार ए हाली स्कूल में संपन्न हुईं। शहर काजी मोहम्मद अतहर जमाली की सदारत में सभी 34 जोड़ों ने एक साथ निकाह कबूल किया। समारोह में दूल्हा-दुल्हन के परिवारवालों ने फूलों से नवदम्पतियों को बधाई दी और उनकी खुशहाल जिंदगी की कामना की।
सामूहिक विवाह का महत्व
सदर अकिल खान ने जानकारी दी कि मुस्लिम समाज 12 वर्षों से सामूहिक विवाह का आयोजन कर रहा है। अब तक 231 जोड़ों का निकाह सामूहिक रूप से पढ़वाया जा चुका है। इस पहल का उद्देश्य समाज में विवाह को सरल और सुलभ बनाना है, जिससे जरूरतमंद परिवारों को मदद मिल सके।
सामूहिक विवाह समारोह ने न केवल समाज में एकता और सहयोग का संदेश दिया, बल्कि इससे विवाह के खर्चों में कमी और सरलता आई है। यह आयोजन समाज में आपसी भाईचारे और खुशियों का प्रतीक बन गया है।