गोविन्द गुरु की मांग अनुरूप भीलप्रदेश और अनुसूचित क्षेत्र की मुख्य मांगों को लेकर सांसद राजकुमार रोत ने सौंपा राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू को ज्ञापन

डूंगरपुर। सांसद राजकुमार रोत ने महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक महत्वपूर्ण ज्ञापन सौंपा है, जिसमें राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, और महाराष्ट्र के आदिवासी समुदाय की अति-महत्वपूर्ण मांगों को उठाया गया है। राष्ट्रपति मुर्मू वर्तराजकुमार मान में आदिवासियों के ऐतिहासिक शहीद स्थली मानगढ़ धाम के दौरे पर हैं, जो इन चार राज्यों के आदिवासी समुदाय के लिए आस्था का केंद्र है।

सांसद राजकुमार रोत ने अपने ज्ञापन में 21 प्रमुख मांगों को रेखांकित किया है, जिनमें मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय आदिवासी धाम घोषित करने, चार राज्यों के आदिवासियों की मांग अनुरूप भील प्रदेश का गठन करवाने, और 1931 के जनगणना रजिस्टर में रहे ट्राइबल कॉलम को पुनः बहाल करने जैसी मांगें शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, आदिवासी आस्था केंद्र बेणेश्वर टापू (बेणका) की भूमि को आदिवासी समाज के नाम पर दर्ज करने और भीली व गोंडी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग भी की गई है।

ज्ञापन में आदिवासी क्षेत्रों में जल संसाधनों के प्राथमिक उपयोग, आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए संग्रहालय का निर्माण कराने, और अनुसूचित क्षेत्रों में सिविल कानून सीधे लागु हो रहे हैं, उसमें अनुसूचित क्षेत्र के लिए अलग से विशेष कानून लागू करने पर भी जोर दिया गया है। इसके साथ ही, सांसद रोत ने बांसवाड़ा जिले में रुकी हुई डूंगरपुर-रतलाम रेल परियोजना को पुनः शुरू करवाने और माही अपर हाई कैनाल निर्माण के संबंध में किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग की है।

सांसद रोत ने इस ज्ञापन में स्पष्ट किया है कि यह मुद्दे आदिवासी समाज के सम्मान, अधिकार और अस्तित्व से जुड़े हुए हैं और इन मांगों को पूरा करने से क्षेत्र की जनता को बड़ी राहत मिलेगी।

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