सांसद रोत ने कहा: विधायक को षड्यंत्र के तहत फंसाया गया : प्रशासन ने जन आक्रोश रैली की स्वीकृति नहीं दी तो बाप पार्टी ने किया विरोध



बांसवाड़ा। बांसवाड़ा डूंगरपुर के सांसद राजकुमार रोत ने कहा है कि बागीदौरा के विधायक जयकृष्ण पटेल को षड्यंत्र के तहत फंसाया गया है। रिश्वत लेने के इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कार्रवाई की और मामला कोर्ट में है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता एक सरकारी संस्था की तरह काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत आदिवासी पार्टी के आने के बाद आदिवासी अंचल में लोगों में राजनीतिक जागरूकता आई है, जो भाजपा को पच नहीं रही है।बांसवाड़ा के सर्किट हाउस में शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए सांसद ने कहा कि विधायक को फंसाने के लिए सोची समझी साजिश रची गई।

जब विधायक के खिलाफ एसीबी ने कार्रवाई की तब आप पार्टी की ओर से कहा गया था कि एसीबी कोर्ट तय करेगा कि विधायक दोषी है तो पार्टी भी कार्रवाई करेगी, लेकिन इस मामले में कई बनावटी कहानियां सामने आई। एसीबी के डीजी ने जो कहा, वह एफआईआर में नहीं है। आरोप लगाया गया कि विधायक ने स्वयं संपर्क किया, जबकि परिवादी ने खुद ही कॉल किए थे।

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उन्होंने सवाल किया कि करीब सवा करोड़ की वैल्यू वाली कंपनी ढाई करोड़ रुपए देने को क्यों तैयार होगी ? जिस खान से जुड़ा मामला था, उसमें सरकार ने जवाब दिया कि अवैध खनन नहीं हो रहा है तो क्या सदन में गलत जवाब दिया गया ? कंपनी का कर्ताधर्ता चुनाव में भाजपा का प्रत्याशी भी था।

इससे साफ है कि साजिश रची गई। यह क्षेत्र संत सुरमालदास, गोविंद गुरु, मामा बालेश्वर दयाल की कर्मभूमि है। जिस संगठन ने आदिवासी को जागरूक करने का प्रयास किया, उन्हें साजिश रचकर खत्म कर दिया गया। भाजपा और कांग्रेस के षड्यंत्रकारी नेता किसी भी स्वतंत्र आवाज की आगे नहीं आने देते हैं। इसका उदाहरण डूंगरपुर के जिला प्रमुख के चुनाव थे, जिसमें दोनों पार्टियां आपस में मिल गई थी। सांसद ने कहा कि बांसवाड़ा जिला परिषद की बैठक में हकरू मईडा और पूर्व जिलाध्यक्ष लाभचंद पटेल ने सरकार को जिले में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए आवाज उठाई, वे आज मौन हो गए हैं।

भाजपा के कार्यक्रम में अधिकारियों पर दबाव बनाकर मनरेगा की लेबर को ला रहे हैं। कोर्ट के निर्णय से पहले विधायक के बैनर – पोस्टर लगाए गए, जो गैर कानूनी है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने राजनीति का स्तर गिरा दिया, जबकि वैचारिक लड़ाई होनी चाहिए। इस दौरान कांतिभाई, हेमंत राणा, कलसिंह मकवाना सहित बीएपी के कई पदाधिकारी मौजूद रहे।

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