बड़ा सवाल- मांग के अनुरूप इस क्षेत्र में बिजली सप्लाई क्यों नहीं हो पा रही?
सागवाड़ा। गाँवों में इन दिनों जीवन जैसे थम सा गया है। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 29 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है, लेकिन इससे भी ज्यादा तकलीफदेह है बिजली की लगातार हो रही कटौती। रोजाना 8 से 10 घंटे तक बिजली गायब रहने से गाँवों में जन-जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
तेज़ गर्मी में जहाँ पंखे और कूलर बंद पड़े हैं, वहीं खेतों में फसलें पानी के इंतजार में मुरझाने लगी हैं। पशुपालन, छोटे उद्योग और घरेलू कामकाज सभी पर इसका गंभीर असर पड़ रहा है।ग्रामीण बताते हैं कि गर्मी में तो वैसे ही हाल बुरा होता है, ऊपर से बिजली भी नहीं रहती। दिन तो जैसे-तैसे काट लेते हैं, लेकिन रातें पूरी जाग कर गुजरती हैं।
बच्चे रोते रहते हैं, बुजुर्गों की तबीयत बिगड़ने लगी है।किसानों ने बताया कि हमारी सब्ज़ियों की फसल तैयार थी, लेकिन मोटर नहीं चल पा रही। पानी न मिलने से फसलें सूखने लगी हैं। अगर यही हाल रहा तो भारी नुकसान तय है।छात्रों को पढ़ाई में दिक्कत, दुकानदारों को ग्राहक न मिलना और बीमारों को राहत के साधनों का अभाव – बिजली कटौती ने ग्रामीण जीवन की हर परत को झकझोर कर रख दिया है। इधर निगम के अधिकारियों का तर्क है कि बिजली की मांग ज्यादा और आपूर्ति कम होने के कारण कटौती की जा रही है।
ग्रामीणों की माँग
गाँववासियों ने सरकार से अपील की है कि प्राथमिकता के आधार पर ग्रामीण इलाकों को निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। गर्मी और उमस से परेशान लोग अब प्रशासन से राहत की आस लगाए बैठे हैं। बिजली कोई विलासिता नहीं, बल्कि मूलभूत ज़रूरत है और भीषण गर्मी के इस दौर में यह ज़रूरत और भी अहम हो जाती है। समय रहते यदि सरकार और विभाग ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।