—आमजन शिकायत कहा करे इसकी भी कोई व्यवस्था नही, जिला मुख्यालय पर कोई अधिकारी नही बैठता
—रतलाम-स्वरुपगंज नेशनल हाईवे पर सागवाडा के पास पाडला मोरु गांव के पास तीन माह से पुलिया धंसा
डूंगरपुर। लोगों को अच्छी रोड कनेक्टिविटी के लिए सरकार भले ही लाख प्रयास करे लेकिन अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से सड़को के पुलिए धंसने लगे है। दरसअल रतलाम स्वरुपगंज नेशनल हाईवे के लिए एक साल पहले बांसवाडा से डूंगरपुर सडक का निर्माण हुआ है। सडक निर्माण के बाद केंद्र सरकार ने टोल वसूली भी शुरू कर दी है लेकिन तीन माह पहले सागवाडा से बांसवाडा के बीच पाडला मोरु में पुलिया धंसा हुआ हैं।
इसके कारण इस मार्ग से आने-जाने वाले वाहन रोज दुर्घटना का शिकार हो रहे है। पुलिया दिन-प्रतिदिन धंसता जा रहा है। ऐसे में कभी भी बडा हादसा हो सकता है। पाडला मोरु के पास पुलिए का निर्माण एनएचआई के ठेकेदार की ओर से किया गया था। इस समय मॉनिटरिंग करने वाले इंजीनियर ने सही ध्यान नही दिया। इसके कारण पुलिया पहले ही साल धंसने लगा है। इसके कारण डामर सडक लगभग घायब हो गई। वही पुलिए धसने से अब एक्सीडेंट का खतरा मंडरा रहा है। वही जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हुए है।
रोज एक्सीडेंट का खतरा
पाडला मोरु गांव के पास पुलिए पिछले तीन माह से लगातार धंसते जा रहा है। इसके कारण बडा गड्ढा हो गया है। पुलिए से नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अधिकारी भी अपनी महंगी कार से गुजरते है लेकिन सडकों का निरीक्षण औपचारिकता के साथ करते है।
पुलिए के धंसने के कारण अक्सर बडे वाहन जैसे ट्रक, टेलर और कंटेनर इस गड्डे से अचानक असंतुलित हो जाते है। कई बार गड्डे से बचने के लिए अचानक लेन बदल देते है। जिससे पीछे से आ रहे वाहन पर एक्सीडेंट का खतरा रहता है। इसके अलावा छोटी कार, एसक्यूवी वाहन अचानक इस गड्डे से उछल कर असंतुलित होती है।
नेशनल हाईवे का पूरे डूंगरपुर में कोई अधिकारी नही, शिकायत करने उदयपुर जाना पडेगा
डूंगरपुर जिले में नेशनल हाईवे के दो बडी सडके गुजर रही हैं जिसमें उदयपुर-अहमदाबाद मार्ग जो मोतली मोड से रतनपुर बॉर्डर तक डूंगरपुर जिले की सीमा से गुजरता है। इसके अलावा रतलाम स्वरुपगंज सडक जो माही पुल से मोतली मोड तक डूंगरपुर जिले में गुजरता है।
इसके बावजूद डूंगरपुर जिले में कोई अधिकारी, कर्मचारी का कार्यालय नही है। इसके कारण इन दोनो मार्ग पर कही भी सूचना पटट, शिकायत का बोर्ड तक नही लगा है। इसके कारण जिले के लोगों, जनप्रतिनिधी और वाहनधारी को कोई शिकायत करनी हो तो उसे इंटरनेट से जयपुर या उदयपुर का नंबर ढूढना पडता है। इसके कारण अधिकारियों तक आमजन की कोई पहुंच नही होती है।