प्रभुदास धाम रामद्वारा में रामकथा व चातुर्मास का हुआ विश्राम

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सागवाड़ा। प्रभुदास धाम रामद्वारा में चल रहे दिव्य चातुर्मास के अंतर्गत आयोजित रामकथा में रामस्नेही संप्रदाय मेडता पीठ के उत्तराधिकारी संत रामनिवास शास्त्री ने उत्तरकाण्ड के प्रसंग सुनाए। उन्होंने भारत माता की महिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रकृति स्वयं भारत का श्रृंगार करती है।

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भारत में जन्म लेने वाला प्रत्येक मानव माँ से यही वरदान मांगता है कि उसका वैभव अमर रहे। संत ने धर्म और राष्ट्र रक्षा के प्रति सजग रहने का आह्वान करते हुए कहा कि यदि धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए कष्ट भी सहना पड़े तो सहजता से स्वीकार करना चाहिए।

शास्त्री जी ने भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन और राज्याभिषेक का भावपूर्ण वर्णन किया। भरत, माताओं, ऋषि-मुनियों और जनमानस द्वारा प्रभु चरणों में वंदन और अभिनंदन के दृश्य का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रेम और श्रृंगार का अनुपम मिलन है। वानरों के सहयोग का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि वे भरत से भी अधिक प्रिय बने। भगवान स्वयं माता कैकेयी के चरणों में वंदन कर 14 वर्षों की प्रतीक्षा पूरी करते हैं और रामराज्य की स्थापना का सुखद क्षण आता है। कथा के दौरान भक्तिभाव से भरे भजन प्रस्तुत हुए।

भजन गायक कैलाश माकड़ ने “जय जय भारत माता” सहित सुन्दर भजनों की प्रस्तुति दी। कथा में कबीरपंथ की साध्वी भुवनेश्वरी, विशाखा दीदी सहित प्रभुदास धाम के संत उदयराम व संत अमृतराम का सानिध्य रहा। तबला पर लोकेश ठाकुर, ऑर्गन पर कैलाश माकड़, लोकेश व रमाकांत भावसार तथा मंजीरे पर मंगेश भाटी ने संगत दी। समारोह में प्रभुदास समिति, महिला मंडल और अनेक भक्तों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त कर सम्मान किया गया।

विभिन्न समाजों द्वारा व्यासपीठ और संतों का चादर व भेट समर्पित कर अभिनंदन किया गया। गुरुवार को कथा विश्राम हुआ। शुक्रवार को मेडता पीठाधीश्वर रामकिशोर महाराज, जनप्रतिनिधियों और संतों की उपस्थिति में समापन समारोह एवं महाप्रसाद का आयोजन होगा। इस अवसर पर शीतल-सतीश भंडारी बांसवाड़ा व विप्रवर विनोद त्रिवेदी के सानिध्य में पोथी पूजन और आरती हुई। कार्यक्रम में लोकेश सोमपुरा, अशोक भट्ट, विजयराम भावसार, ललित पंचाल सहित नगर के अनेक समाजों के महिला-पुरुष उपस्थित रहे। महिला शक्ति द्वारा संतों का भावभीना सम्मान किया गया।

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