ग्राम पंचायत गोवाड़ी के छतरीफला का मामला, नक्शे में हेराफेरी, जिस भूमि पर अतिक्रमण बताया, उसी को आबादी बताकर जारी कर दिए प्रमाण पत्र

  • कलक्टर के निर्देश पर हुई जांच में हुई हेराफेरी की पुष्टि
  • उपखंड अधिकारी ने तहसीलदार से कराई जांच, तत्कालीन पटवारी लालशंकर बलाई की कारस्तानी
  • एक दशक बाद गड़बड़ी की सामने आई, जिला कलक्टर को भेजी रिपोर्ट

सागवाड़ा। क्षेत्र की ग्राम पंचायत गोवाड़ी स्थित बेशकीमती भूमि के नक्शे लट्ठे में हेराफेरी कर प्रमाण पत्र जारी कर देने का एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है। कागजों में दफन नक्शे में हेराफेरी का मामला करीब एक दशक बाद उजागर हुआ है। जांच में सामने आया कि तत्कालीन पटवारी लालशंकर बलाई ने हेराफेरी के खेल को अंजाम दिया है।

उच्चाधिकारियों के आदेश पर की गई जांच ने हेराफेरी से पर्दा उठा दिया है। तत्कालीन पटवारी बलाई ने जिस भूमि पर अतिक्रमण बताकर तहसीलदार को रिपोर्ट दी थी उसी को आबादी बताकर प्रमाण पत्र जारी कर दिए। अब ये भी सामने आया है कि ग्राम पंचायत गोवाड़ी ने उक्त भूमि के पट्टे जारी कर दिए है। मिलीभगत के इस खेल में पंचायत के तत्कालीन सरपंच की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। सांठगांठ और मिलीभगत से बेशकीमती भूमि की बंदरबांट की गई है। 

नेशनल हाईवे 927 ए से सटी ग्राम पंचायत गोवाड़ी के छतरीफला मेंं वर्ष 1970 से करीब 25 से 30 कच्चे केलूपोश मकान बने हुए थे। वर्तमान में 70 से 80 मकान बने हुए है। जो वर्तमान राजस्व रेकार्ड नक्शा लट्ठा अनुसार मौजा गोवाडी के खसरा नंबर 2704 रकबा 10.2258 हेक्टेयर किस्म चरागाह में स्थित है। इस सबंध में एक परिवाद दर्ज हुआ था। परिवाद में तत्कालीन पटवारी लालशंकर बलाई द्वारा नक्शा लट्ठा में हेरफेर करने और करीब छ: दशक से बने मकानो के पट्टे दिलाने की गुहाई लगाई गई थी।

ये वीडियो भी देखे

इस मामले को सतर्कता में दर्ज किया गया था और जिला कलक्टर ने सागवाड़ा उपखंड अधिकारी को पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए थे। जिसपर सागवाड़ा के तत्कालीन कार्यवाहक एसडीएम गोंगाराम मीणा ने तहसीलदार स्तर पर जांच कराई। जिसमें तत्कालीन पटवारी लालशंकर बलाई द्वारा हेराफेरी किए जाने की पुष्टि हुई है।

सागवाड़ा के तत्कालीन कार्यवाहक उपखंड अधिकारी गोंगाराम मीणा ने गत 20 दिसंबर 2024 को जिला कलक्टर को भेजी जांच रिपोर्ट में हेराफेरी किए जाने की पुष्टि की है। रिपोर्ट में बताया है कि 10 दिसंबर 2024 को बनाए गए मौका पर्चा अनुसार गोवाड़ी गांव के छतरीफला निवासी गरीब जनजाति वर्ग के लोगों द्वारा लिखित परिवाद प्रस्तुत किया गया। जिसमें उन्हीं लोगों के हस्ताक्षर है। छतरीफला में वर्ष 1970 से करीब 25 से 30 कच्चे केलूपोश मकान बने हुए थे। वर्तमान में 70 से 80 मकान बने हुए है। वर्तमान राजस्व रेकार्ड नक्शा लट्ठा अनुसार मौजा गोवाडी के खसरा नंबर 2704 रकबा 10. 2258 हेक्टेयर किस्म चरागाह में स्थित है। जरिए नामांतरण संख्या 137 दिनांक 24-4- 1975 से खसरा नंबर 2704 रकबा 66. 18 बीघा किस्म चरनोट में से रकबा 3-09 बीघा भूमि आबादी के लिए आंवटित होने से नया खसरा नंबर 2704/1 रकबा 3-09 बीघा किस्म आबादी होकर जमाबंदी में बिलानाम आबादी अमलदार दर्ज किया गया। 

एसडीएम ने कलक्टर को भेजी जांच रिपोर्ट में बताया है कि मौका पर्चा बनाने के दौरान मौजूद मौतबिरानों के अनुसार खातेदार कैलाश भारती पुत्र किशन भारती गोसाई के खातेदारी खेत खसरा संख्या 2705, 2706, 2720/1, 2720/2, 2720/3, 2720/4, 2725 और 2730 की सीमा से लगकर वर्तमान नक्शे में खसरा संख्या 2704/1 की तरमीम की हुई है। मौतबिरानों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य पी-14 की प्रमाणित नकल अनुसार खातेदार कैलाश भारती पिता किशन भारती साधु का अतिक्रमण संवत 2045 वर्ष 1988, संवत 2046 वर्ष 1989-90 संवत 2048 वर्ष 1996 संवत 2050 वर्ष 1993-94 में दर्ज किया गया है।

जिससे स्पष्ट है कि वर्ष 1993- 94 तक खसरा संख्या 2704/1 की तरमीम वहां नहीं थी। उक्त भूमि खसरा नंबर 2704 किस्म चरागाह होने से तत्कालीन पटवारी हल्का द्वारा धारा 91 के तहत अतिक्रमण की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। साक्ष्य पी-14 की प्रमाणित नकल अनुसार खातेदार कैलाश भारती पिता किशन भारती साधु द्वारा अपने खातेदारी भूमि बेचान करने से वर्ष 2012- 13 में क्रेता रविंद्र सिंह पुत्र तेजसिंह राजपूत निवासी गामड़ा ब्राह्मणिया को अतिक्रमी बताकर खसरा नंबर 2704 में धारा 91 के तहत तत्कालीन पटवारी लालशंकर बलाई द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। 

जांच रिपोर्ट कह रही है कि मौका निरीक्षण के दौरान खसरा नंबर 2704/1 आबादी भूमि तथा खसरा नंबर 2704 स्थित छतरीफला के मकानों के बीच परकोटा बना होकर खसरा नंबर 2704/1 में किसी भी जनजाति वर्ग का मकान बना हुआ नहीं पाया गया। खसरा नंबर 2704/1 की भूमि आदिनांक तक पडत होकर खाली है। जिससे स्पष्ट है कि वर्ष 1975 में आवंटित भूमि वर्तमान में स्थित खसरा नंबर 2704/1 की भूमि नहीं है। उक्त तरमीम गलत की गई है।

जांच रिपोर्ट में बताया है कि मौजूद मौतबिरानों द्वारा प्रस्तुत आबादी भूमि के प्रमाण पत्र के साक्ष्य में दिनांक 31-3-2014 अनुसार तत्कालीन पटवारी लालशंकर बलाई द्वारा संवत 2069 वर्ष 2012-13 में जिस भूमि को खसरा नंबर 2704 चारागाह बताकर धारा 91 के तहत अतिक्रमण की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी उसी भूमि को तत्कालीन पटवारी ने खसरा संख्या 2704/1 आबादी बताकर विभिन्न व्यक्तियों के नाम प्रमाण पत्र जारी कर दिए। तत्कालीन पटवारी लालशंकर ने नक्शे लट्ठे में हेराफेरी की और राजस्व रेकार्ड से छेड़छाड कर प्रमाण पत्र जारी करने के खेल को अंजाम दिया। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में स्थित खसरा संख्या 2704/1 की भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 927 ए से सटी होकर बेशकीमती भूमि है। जांच रिपोर्ट में नक्शे लट्ठे में हेराफेरी होना माना गया है।

मिलीभगत की गहनता से जांच हो तो कई चेहरे बेनकाब हो सकते हैं

उल्लेखनीय है कि तत्कालीन पटवारी लालशंकर बलाई द्वारा नक्शे लट्ठे में हेराफेरी की गई और विभिन्न व्यक्तियों के नाम प्रमाण पत्र जारी कर दिए। एक दशक बाद हेराफेरी से पर्दा उठा है। राजस्व रेकार्ड और नक्शे लट्ठे में हेरफेर की पुष्टि हुई है। जांच रिपोर्ट जिला कलक्टर तक पहुंच चुकी है। यहां सवाल खड़ा हो रहा है कि एक दशक पूर्व की गई हेराफेरी के खेल में कौन-कौन चेहरे शामिल थे। मिलीभगत की अधिक गहनता से जांच हो तो कई चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।  प्रमाण पत्र जारी होने के बाद कौनसे स्तर पर पट्टे जारी किए गए है? यह भी जांच का विषय है।

व्यापक गड़बडी और हेराफेरी के खेल का काला चिट्ठा पूरी तरह खुल सकता है। यह भी बताया जा रहा है कि तत्कालीन पटवारी लालशंकर बलाई की कारगुजारी और रेवेन्यू रिकार्ड में हेराफेरी का मामला सतर्कता समिति तक ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री कार्यालय जयपुर तथा राजस्व मंडल अजमेर तक भी पहुंचा है। सीएमओ तथा राजस्व मंडल अजमेर से भी मामले की जांच को लेकर पत्र जारी हुए थे। इस पूरी जांच और रिपोर्ट से यह तो साफ हो गया है कि गड़बडी और हेराफेरी का खेला बड़े स्तर पर हुआ है और इसमें कई रसुखदार भी शामिल हैं। अब देखना यह है कि सीएमओ, राजस्व मंडल अजमेर और जिला कलक्टर इस मामले में क्या एक्शन लेते है। तत्कालीन पटवारी लालशंकर बलाई वर्तमान में बांसवाड़ा जिले में पदस्थ है।

ग्रामीणों की चेतावनी, पट्टे नहीं मिले तो आंदोलन करेंगे

इधर छतरी फला के लोगों ने बरसों से जिस जमीन पर रह रहे हैं, जो आबादी थी उस जमीन और भवन का पट्टा नहीं मिला तो आगे कार्रवाई करने के साथ ही आंदोलन की राह पकड़ेंगे। उनकी पहले आबादी बताई गई जमीन अब चारागाह कैसे हुई, इस बात को लेकर रोष जताते हुए लोगों ने बताया कि इस तरह नक्शे लट्ठे में हेरा फेरी से उनका हक मारा जा रहा है। उन्होंने पट्टों के लिए नियमानुसार राशि भी जमा करा दी है फिर भी इस पर प्रशासन की तरफ से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में मजबूरन उन्हें आंदोलन की राह पकड़नी पड़ेगी।

 

 

ad
डूंगरपुर-बांसवाड़ा ज़िले की ताज़ा ख़बरों के लिए मेरा सागवाड़ा न्यूज़ से जुड़े रहे! यहाँ पढ़े DungarpurNews & BanswaraNews और पाए Latest Rajasthan News हर पल की जानकारी। जुड़े रहे हमारे साथ और बने रहे अपडेटेड!

Leave a Comment

error: Content Copy is protected !!
92 lakh Indians in 6 countries of Middle East साइबर फ़्रॉड से बचने के लिए, ये उपाय अपनाए जा सकते हैं, जानिए क्या है? युवाओ में क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज देखने का जोश, देखना न भूले 10 वेब सीरीज Belly Fat कम करने के लिए सुबह नाश्ते में खाई जा सकती हैं ये चीजे विश्व रक्तदाता दिवस 2023 महत्व शायरी (वर्ल्ड ब्लड डोनर डे) | World blood donor day theme, quotes in hindi