भासौर/प्राचीन स्वयंभू नीलकंठ महादेव मंदिर भासौर जो पांच गांव से समान दूरी पर भासौर, ज्ञानपुर, अखेपुर, गामडी और धाणी बरवा गांवों के मध्य स्थित है, जिसमे मंदिर व परिसर सहित लगभग 6 बीघा भू भाग पर फैला हुआ है। यह धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में भगवान नीलकंठ महादेव का स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है, जिसे भगवान विश्वनाथ का स्वरूप माना जाता है। मान्यता है कि यहां भगवान नारायण भी निवास करते हैं, इसलिए भगवान के विग्रह की हरिहर के रूप में पूजा की जाती है जिससे इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है।
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
कहा जाता है कि मंदिर के स्थान पर स्थित पिलुड़ावृक्ष के नीचे एक पाटीदार किसान ने झाड़ी काटने के लिए कुल्हाड़ी चलाई, जिससे वहां मौजूद शिवलिंग को चोट लग गई। इससे शिवलिंग से खून की धारा प्रवाहित होने लगी, जिससे किसान घबरा गया अचानक खून की धारा कहां से निकल रही है सोच कर बहुत चिंतित हो गया। उसी रात भगवान महादेव ने उस किसान को सपने में दर्शन दिए और अपने स्वयंभु विग्रह लिंग स्वरूप में होने की बात बताई।
दूसरे दिन ग्रामीणों को लेकर वहां पहुंचा सब ने मिलकर उस स्थान की खुदाई करने पर वहां से स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ जिसकी जो कुल्हाड़ी से थोड़ी खंडित हो गई थी स्वप्न में बताएं अनुसार ग्रामीणों द्वारा इस स्थान पर स्थापना कर मंदिर बनवाया कालांतर में मंदिर की बहुत प्रसिद्ध होने से लगभग 1960 में निर्वतमान प्रबुद्ध वर्ग व ग्राम वासियों ने मिलकर मंदिर का जीर्णोद्वार कर नया मंदिर बनवाया भक्तों द्वारा बड़े ही श्रद्धा भाव से भगवान की पूजा अर्चना कि जाती है।
मंदिर का धार्मिक महत्व
मंदिर में भगवान महादेव की प्रतिमा के साथ मां पार्वती, गणेशजी, बटुक भैरव और नंदी महाराज की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। हर सोमवार को यहां महादेव का फूलों से विशेष महाश्रृंगार कर महाआरती का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
नीलकंठ महादेव मन्दिर मै श्रावण मास के सभी सोमवार एवं महाशिवरात्रि मे मेला का आयोजन प्रतिवर्ष धूम धाम से किया जाता है जिसमे अलग-अलग प्रकार की झांकिया सजाई जाती है
योगी प्रकाश नाथजी महाराज के सानिध्य में यहां 24 घंटे तक अखंड सहस्त्रधारा अभिषेक का आयोजन भी हुआ था, जिसमें भगवान शिव का विशेष पूजन और अभिषेक किया गया। योगी प्रकाश नाथजी ने इस स्थल को महादेव का साक्षात निवास स्थान बताया, जिससे यहां की महिमा और भी बढ़ जाती है।
मंदिर के पास स्थित प्राचीन खेड़ा माता का मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण स्थल है। माना जाता है कि जो व्यक्ति खेड़ा माताजी और स्वयंभू नीलकंठ महादेव के दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
भगवान शिव के प्रिय वासुकी नाग का चमत्कारिक दर्शन
मंदिर की एक और विशेषता यह है कि भगवान शिव के प्रिय वासुकी नाग भी यहां निवास करते हैं। मान्यता है कि वासुकी नाग साल में एक बार साक्षात दर्शन देते हैं। शारदीय नवरात्र में वह श्रावण मास में किसी-किसी भक्त को नाग देवता साक्षात दर्शन होते रहते हैं जिसे भक्तजन महादेव की विशेष कृपा मानते हैं। भगवान शंभू नीलकंठ महादेव के साथ नाग देवता के दर्शन इस मंदिर की चमत्कारिकता और श्रद्धा को बढ़ा देते हैं।
सांध्यकालीन और सोमवार के विशेष आयोजन
महादेव मंदिर के आचार्य श्री मुकेश जी भट्ट द्वारा हर रोज़ शाम मंदिर में नियमित महाआरती का आयोजन किया जाता है, जबकि सोमवार को विशेष महाश्रृंगार और महाआरती का आयोजन होता है। जिसमे प्रतिदिन एवं सोमवार को लोगो मे भक्ति भाव का उत्साह उमड पड़ता है।…….राधे डेकोरेट टीम
विशेष प्रकार के फूलों व अन्य झांकियो द्वारा मनोहर रूप से महाश्रृंगार सजावट का कार्य किया जाता है। महादेव मंदिर गांव से 2 किलोमीटर दूर सौंदर्य सुरम्य दिव्य प्राकृतिक वातावरण मे स्थित है ,कार्य दिव्य भाव श्रीफल हवन श्रृंगार एवं महाआरती का उपक्रम विगत अगस्त 2022 से सतत चल रहा है श्रावण मास अगस्त 2025 तक कुल 150 सोमवारी महा आरती हो चुकी है महादेव के इस आयोजनों में गांव और आसपास के क्षेत्रों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
पिलुडेश्वर महादेव मंदिर, प्राकृतिक छटा और सौंदर्य के बीच स्थित, एक अद्भुत और सुरम्य स्थल है जो न केवल श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक स्थान है।
भगवान शिव के प्रिय वासुकी नाग के दर्शन: महादेव की विशेष कृपा
पिलुडेश्वर स्वयंभू नीलकंठ महादेव मंदिर में भगवान शिव के प्रिय वासुकी नाग का निवास भी होता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि केवल भाग्यशाली भक्तों को ही वासुकी नाग के दर्शन होते हैं। वासुकी नाग साल में एक बार साक्षात दर्शन देते हैं और पिछले साल अक्टूबर में यह चमत्कारिक दर्शन हुए थे। यह दर्शन महादेव की विशेष कृपा का प्रतीक माना जाता है और इसे भक्तों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मंदिर की इस अद्वितीय विशेषता ने इसे श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय बना दिया है।
नीलकंठ महादेव सेवा समिति भासोर, ब्लॉक सागवाड़ा, जिला डूंगरपुर।