डूंगरपुर/बढ़ते तापमान व भीषण गर्मी के मद्देनजर जिला प्रशासन ने आमजन से बचाव रखने की अपील की है। विशेषकर बच्चों, बूढ़ों, गर्भवतियों तथा बीमार व्यक्तियों द्वारा एहतियात बरतने पर जोर दिया गया है। जिला कलक्टर अंकित कुमार सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सभी अस्पतालों में लू-तापघात के रोगियों के लिए गाइडलाइन अनुसार बैड आरक्षित रखते हुए कूलर व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था, आपातकालीन किट में ओरआरएस, ड्रिपसेट, फ्लूड एवं आवश्यक दवाईयां रखने के निर्देश दिए हैं।
जिला प्रशासन ने आमजन के लिए जारी अपील में कहा है कि जहां तक संभव हो धूप में न निकलें। निकलें तो शरीर पूर्ण तरह से ढका हो। सफेद या हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़ों का उपयोग करें। लू तापघात से प्रायः कुपोषित बच्चे, बीमार, वृद्व, गर्भवती महिलाऐं और श्रमिक आदि प्रभावित हो सकते हैं। प्रातः 10 बजे से सांय 6 बजे तक छायादार ठंडे स्थान पर रहने का प्रयास करें। लू के लक्षण प्रतीत होने पर तुरंत प्राथमिक उपचार करते हुए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं।
गर्मी में ये सावधानियां बरतें :
बहुत अधिक भीड़, गर्म घुटन भरे कमरों से बचें, रेल बस आदि की यात्रा अत्यावश्यक होने पर ही करें। बिना भोजन किये बाहर न निकलें। भोजन करके एवं पानी पी कर ही बाहर निकलें। सड़े-गले फल व बासी सब्जियों का उपयोग हरगिज ना करें। गर्दन के पिछले भाग कान, एवं सिर को गमछे या तौलिये से ढक कर ही धूप में निकलें। रंगीन चश्में एवं छतरी का प्रयोग करें। पानी एवं पेय पदार्थो जैसे नींबू पानी, नारियल पानी, ज्यूस आदि का प्रयोग करते रहें। श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवं पानी का पूर्ण प्रबन्ध रखा जाए। कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक से बचें।
लू तापघात के लक्षण
सीएमएचओ डॉ. अलंकार गुप्ता के अनुसार शरीर में लवण व पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण में लू व तापघात निम्नांकित लक्षणों के द्वारा प्रभावी होता है-
- सिर का भारीपन व सिरदर्द।
- अधिक प्यास लगाना व शरीर में भारीपन के साथ थकावट।
- जी मिचलाना, सिर चकराना व शरीर का तापमान बढ़ना (105 एफ या अधिक)।
- पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना।
- अत्यधिक प्यास का लगना, बेहोशी जैसी स्थिति होना।
क्या है लू तापघात
चिकित्सकीय दृष्टि से लू तापघात के लक्षण लवण व पानी की आवश्यकता व अनुपात विकृति के कारण होती है। मस्तिष्क का एक केंद्र जो मानव के तापमान को सामान्य बनाए रखता है, काम करना छोड़ देता है। लाल रक्त कोशिकाएं रक्त वाहिनियों में टूट जाती हैं व कोशिकाओं में जो पोटेशियम लवण होता है वह रक्त संचार में आ जाता है जिससे हृदय गति, शरीर के अन्य अंग व अवयव प्रभावित होकर लू तापघात के रोगी की मृत्यु हो जाती है।
ऐसे करें प्राथमिक उपचार
लू तापघात से प्रभावित रोगी को तुरंत छायादार जगह पर लेटा दिया जाए एवं हवा करें। व्यक्ति को तुरंत ठंडा पानी, ओआरएस, नींबू पानी, नारियल पानी, कच्चे आम का पना जैसे पेय पदार्थ पिलाएं। पानी व बर्फ से शरीर को ठंडा करने का प्रयास करें फिर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र लेकर जाएं।