डूंगरपुर में पारा 42 डिग्री के पार, भीषण गर्मी से 300 चमगादड़ों की मौत, सड़ने से संक्रमण फैलने की आशंका

Dungarpur Update : गर्मी का पारा 42 डिग्री को पार कर गया है। गर्म हवा के थपेड़ों से हर कोई परेशान है। गर्मी की वजह से जीव-जंतु दम तोड़ने लगे हैं। डूंगरपुर में तेज धूप और लू से झुलसकर चमगादड़ों की मौत होने लगी है। शहर के राजकीय पुस्तकालय में पेड़ों पर बसेरा डाले करीब 300 चमगादड़ों की गर्मी से मौत हो गई है। वहीं, चमगादड़ों के शव सड़ने से संक्रमण फैलने की आशंका भी बनी हुई है।

जिले में भीषण गर्मी और लू चलने से आम जनजीवन बेहाल हो गया है। वहीं, लू से जीव-जन्तुओं की जान पर बन आई है। डूंगरपुर शहर के राजकीय पुस्तकालय के आसपास बगीचे में पेड़ों पर बसरे डाले चमगादड़ों की 5 दिनों से तापमान बढ़ने से लगातार मौतें हो रही हैं। यहां के पेड़ों के नीचे और आसपास के क्षेत्र में चमगादड़ों के शव बिखरे पड़े हैं। इनकी संख्या करीब 300 के आसपास है। शवों के सड़ने से काफी दुर्गंध फैल रही है। अनेक शवों को आवारा कुत्ते उठाकर अपना भोजन बना रहे हैं। वहीं, चमगादड़ों के शव सड़ने से यहां के लोगों को संक्रमण फैलने की आशंका सताने लगी है।

रियासतकालीन राजकीय पुस्तकालय में 15 से 20 पुराने पेड़ हैं। इन पर वर्षों से सैकड़ों चमगादड़ों का बसेरा है। हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पेड़ पर ही उल्टे लटके अवस्था में ही चमगादड़ों की मौत हो रही है। आसपास के लोगों का कहना है कि करीब 5 दिन पहले चमगादड़ों की मौत की घटना शुरू हुई है। शुरूआती दौर में गर्मी का असर कम था। इसलिए इक्के-दुक्के मरे हुए चमगादड़ नजर आ रहे थे। अचानक मौत की संख्या में बढ़ोतरी हो गई है।

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वन्य जीव विशेषज्ञ विरेंद्र सिंह बेडसा का मानना है की गर्मियों में जब तापमान 41 डिग्री को पार जाने लगता है और हवाएं ज्यादा गर्म होकर चलती है। इससे पेड़ों पर उलटा लटकर बसेरा डालने वाली चमगादड़ें मरने लगते हैं। यह सुबह-शाम को ही पानी पीते हैं और दिन में पेड़ पर लटकर आराम करते हैं। 2 दर्जन प्रजातियों में से यही इकलौती ऐसी प्रजाति है जो फल सब्जी खाती है। अपने भारी शरीर के कारण खुले में रहती है। अन्य प्रजातियां पेड़ों के कोटर, गुफा आदि ऐसे स्थानों पर छिपकर रहती है। जहां ठंडक रहती है।

मरी हुई चमगादड़ों के शवों से संक्रमण फैलने से रोकने के लिए इनको जमीन में खड्डा खोदकर दफनाना चाहिए। साथ ही इनकी मौतों को रोकने बगीचे में या आसपास के क्षेत्र में पानीभर के रखना होगा। फिलहाल चमगादड़ों के शव मौके पर ही पड़े है, जिसके चलते इन शवों से संक्रमण फैलने की आशंका बनी हुई है।

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