राजस्थान में अब सबकी नजरे मंत्रीमंडल गठन को लेकर है। भले ही मंत्रियों को शपथ दिलाने का अभी कार्यक्रम तय नहीं हुआ है लेकिन मेवाड़-वागड़ से मंत्रीमंडल में किसको शामिल किया जाएगा इसको लेकर यहां चर्चा के दौर ने जोर पकड़ रखा है। सब अपने-अपने कयास लगा रहे है।
मंत्रीमंडल की तस्वीर वरिष्ठता के आधार पर बनेगी या जिले और जातीय संतुलन के आधार पर यह अभी साफ नहीं हुआ लेकिन भाजपा ने सभी बिन्दुओं पर मंथन कर लिया है और अंदर सब कुछ हो चुका है।
वैसे मंत्रीमंडल में अब तक भाजपा हो या कांग्रेस की सरकार मेवाड़ और वागड़ से बड़े चेहरे शामिल रहे है लेकिन इस बार क्या होगा इसको लेकर चर्चा में कई बाते सामने आ रही है। वसुंधरा राजे सरकार के पिछले कार्यकाल में मेवाड़-वागड़ के हर जिले से मंत्रीमंडल में मंत्री रहे थे।
अगर भाजपा ने जैसे मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चौंकाने का काम किया है ठीक वैसे ही मंत्रीमंडल में भी हुआ तो अधिकांश नए चेहरों को मंत्री बनाया जा सकता है।
किस जिले से किसका नाम मंत्रीमंडल के लिए संभावित
उदयपुर जिला : भाजपा आठ में से छह सीटें यहां जीती है। यहां से भाजपा रिर्जव सीट से जीते विधायकों में से एक को मंत्री बना सकती है। इसमें झाड़ोल विधायक बाबूलाल खराड़ी और उदयपुर ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है। दोनों विधायक लगातार जीतने वाले में है। बीटीपी एवं बीएपी के प्रभाव को भी देखते हुए जनजाति वर्ग से यहां एक मंत्री बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसी प्रकार उदयपुर शहर सीट से अब तक गुलाब चंद कटारिया भाजपा की सरकार जब भी बनी मंत्री रहे है। ऐसे में इस सीट पर इस बार जीते ताराचंद जैन को भी वैश्य कोटे से मंत्री बनाने की बात चली है लेकिन संगठन व सत्ता के बीच की गणित में क्या तय होता है यह देखना होगा।
राजसमंद जिला : यहां भाजपा ने चारों की चारों सीटें जीत कर कांग्रेस का सफाया कर दिया है। यहां से मंत्रीमंडल के प्रबल दावेदारों में पहला नाम नाथद्वारा सीट से विधानसभा स्पीकर रहे डा सीपी जोशी को हराकर विधायक बने महाराणा प्रताप के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ का नाम है। मेवाड़ को भाजपा में शामिल करते ही टिकट दे दिया और वे सीट निकाल भी गए। उदयपुर की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सभा में भी उनको बुलाया गया था। इसके अलावा राजसमंद से महिला कोटे से अगर मंत्री लेने की बात होगी तो पूर्व मंत्री दिवंगत किरण माहेश्वरी की बेटी राजसमंद विधायक दीप्ति माहेश्वरी को मौका दिया जा सकता है। राजसमंद के कुंभलगढ़ से भी सुरेन्द्र सिंह राठौड़ का भी नाम चला है लेकिन एक ही जिले से इतने मंत्री देने को लेकर पेच फंस सकता है।
चित्तौड़गढ़ और प्रतापगढ़ जिला : यहां भी यूं देखे तो पांचों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। पार्टी ने चार सीटें जीती और चित्तौड़गढ़ सीट पर भाजपा के बागी हुए चन्द्रभान आक्या निर्दलीय जीते लेकिन वे पार्टी के साथ ही है। यहां से निम्बाहेड़ा से मंत्री उदयलाल आंजना को हराने वाले श्रीचंद्र कृपलानी को मंत्री बनाया जा सकता है। वे पूर्व में भी यूडीएच मंत्री रहे हुए है। प्रतापगढ़ जिले की प्रतापगढ़ और धरियावद सीट में एक भाजपा और एक बाप ने जीत दर्ज की।
बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिला : बांसवाड़ा की 5 सीटों में से कांग्रेस ने बांसवाड़ा, बागीदौरा, कुशलगढ़ और घाटोल तो भाजपा ने गढ़ी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की। गढ़ी में भाजपा के कैलाश मीणा जीते है। डूंगरपुर जिले की चारों सीटों में से दो पर भारत आदिवासी पार्टी, एक पर कांग्रेस और एक पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। सागवाड़ा में भाजपा के शंकरलाल डेचा जीते। इन दोनों जिलों में भाजपा को नुकसान हुआ है और यहां बीएपी और बीटीपी के प्रभाव को देखते हुए भाजपा यहां का प्रतिनिधत्व मंत्रीमंडल में होना ही चाहिए इस पर जोर दिया गया है। ऐसा इसलिए भी कि आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव भी पार्टी को जीतने के लिए पूरी रणनीति बनानी है। गढ़ी से लगातार दूसरी बार जीते मीणा की हर वर्ग में अच्छी पकड़ है। माना जा रहा है कि कांग्रेस सरकार में जिले से मालवीया और बामनिया को मंत्री बनाने का फायदा कांग्रेस को मिला। इन सारे फेक्टर पर भाजपा में चर्चा हुई है।
2018 की गहलोत सरकार में मेवाड़-वागड़ से ये मंत्री रहे
- चित्तौड़गढ़ जिला : उदयलाल आंजना
- बांसवाड़ा जिला : महेन्द्र जीत सिंह मालवीया और अर्जुन सिंह बामनिया
- राजसमंद जिला : सीपी जोशी, स्पीकर
- उदयपुर जिला : कोई नहीं
- प्रतापगढ़ जिला : कोई नहीं
2013 की वसुंधरा सरकार में मेवाड़-वागड़ से ये मंत्री रहे
- उदयपुर जिला : गुलाबचंद कटारिया
- चित्तौड़गढ़ जिला : श्रीचंद कृपलानी
- बांसवाड़ा जिला : धनसिंह रावत और जीतमल खांट
- डूंगरपुर : सुशील कटारा
- राजसमंद जिला : स्व किरण माहेश्वरी
- प्रतापगढ़ जिला : नंदलाल मीणा