श्राद्ध पक्ष में दो ग्रहण, चंद्रग्रहण 7 व सूर्यग्रहण 21 सितंबर को

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सागवाड़ा। श्राद्ध पक्ष की शुरुआत व समाप्ति ग्रहण के साथ हो रही है। सात सितंबर पूर्णिमा के दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा। जिसे खग्रास चंद्र ग्रहण कहा गया है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका और उत्तरी-दक्षिणी अमरीका के कई हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह दृष्टिगोचर होगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य रहेगा। अमावस्या पर 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण होगा। इसी दिन श्राद्ध पक्ष का समापन भी होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो न्यूजीलैंड, पैसिफिक क्षेत्र और अंटार्कटिका में दिखाई देगा। भारत में यह दृष्टिगोचर नहीं होगा, इसलिए सूतक काल मान्य नहीं रहेगा।

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श्राद्ध पक्ष की समाप्ति के बाद 22 सितंबर से नवरात्र प्रारंभ हो जाएंगे :

पं. अखिलेश पंड्या ने बताया कि 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण रात्रि 9.57 बजे प्रारंभ होकर रात 1.27 बजे तक चलेगा। उपछाया प्रवेश रात्रि 8.58 पर होगा। ग्रहण का सूतक काल नौ घंटे पहले ही प्रारंभ हो जाता है, जो ग्रहण के एक घन्टें बाद तक मान्य रहता है। इसलिए सूतक काल दोपहर 12.57 बजे से ही आरंभ हो जाएगा, जो ग्रहण की समाप्ति रात्रि 1. 58 बजे के बाद रात्रि 2. 25 बजे  तक प्रभावी रहेगा। सूतक के दौरान मंदिरों के पट बंद रहेंगे। ग्रहण की समाप्ति पर शुद्धि की जाएगी। ग्रहण के बाद दान का विशेष महत्व माना गया है। उन्होंने बताया कि 7 सितंबर को ग्रहण के साथ ही श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो रहा है, इसलिए सूतक लगने से पहले ही इस दिन का श्राद्ध निकाला जाएगा।

तृतीया और चतुर्थी का श्राद्ध एक दिन : सात सितंबर को पूर्णिमा का श्राद्ध होगा और इसी दिन पितृ पक्ष भी शुरू हो जाएंगे। पितृ पक्ष 21 सितंबर तक चलेगा। इस दिन सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध किया जाएगा। चंद्र ग्रहण के कारण श्राद्ध और ग्रहण का संयोग एक साथ होने से विशेष महत्व रहेगा। यह ग्रहण कुंभ राशि और शतभिषा नक्षत्र में लगेगा। राहु-केतु और सूर्य-बुध की युति से यह ग्रहण विशेष योग बना रहा है। कुंभ राशि और शतभिषा नक्षत्र के जातकों को सावधानी बरतनी होगी। ग्रहण का दर्शन नहीं कर अपने इष्ट देव व गुरुमंत्र का जाप करना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में इस बार तृतीया और चतुर्थी का श्राद्ध एक ही दिन 10 को निकलेगा।

श्राद्ध व उसकी तिथि

पूर्णिमा का श्राद्ध- 7 सितंबर

प्रतिपदा- 8 सितंबर

द्वितीया-9 सितंबर

तृतीया व चतुर्थी- 10 सितंबर

पंचमी का श्राद्ध- 11 सितंबर

षष्ठी का श्राद्ध- 12 सितंबर

सप्तमी का श्राद्ध-13 सितंबर

अष्टमी का श्राद्ध- 14 सितंबर

नवमी का श्राद्ध- 15 सितंबर

दशमी का श्राद्ध- 16 सितंबर

एकादशी का श्राद्ध- 17 सितंबर

द्वादशी का श्राद्ध- 18 सितंबर

त्रयोदशी का श्राद्ध- 19 सितंबर

चतुर्दशी का श्राद्ध- 20 सितंबर

सर्व पितृकार्य अमावस्या का श्राद्ध- 21 सितंबर को रहेगा।

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