– कांग्रेस के युवा पदाधिकारी और कार्यकर्ता डटे हैं चुनावी मैदान में
– चौरासी उप चुनाव में आदिवासी नेताओं की साख दाव पर
चंद्रेश व्यास। सागवाडा/ चौरासी विधानसभा उप चुनाव में आदिवासी नेताओं की साख दाव पर लगी है। यह चुनाव तय करेगा कि क्षेत्र के सबसे बड़े आदिवासी वोट बैंक पर आख़िर किसकी सबसे मज़बूत पकड़ है।
भाजपा से जहां वर्तमान TAD मंत्री बाबूलाल खराडी, पूर्व मंत्री महेंद्र जीत सिंह मालवीय, कनकमल कटारा, सुशील कटारा, राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, विधायक शंकरलाल डेचा, पूर्व विधायक अनिता कटारा जैसे बड़े आदिवासी नेता चुनावी मैदान में डटे हुए है।
वहीं बाप के लिये सांसद राजकुमार रोत मोर्चा सँभाले हुए है। इधर कांग्रेस के लिये पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा के साथ युवा कांग्रेसी मोर्चा सँभाले हुए हैं। बड़े मार्जिन से चौरासी सीट से बाप के राजकुमार रोत ने जीत दर्ज की थी। करीब 69 हजार से जीत दर्ज करने वाले राजकुमार के सांसद बनने से यहां अब उप चुनाव हो रहे हैं। सांसद के चुनाव में भी राजकुमार ने यहां से करीब 56 हजार वोट लिये थे। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का बाप को समर्थन था।
भाजपा से तो प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री तक के दौरे हो चुके हैं। मुख्यमंत्री की एक ओर सभा यहां होनी है।
पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो कांग्रेस अब भी तीसरें नंबर पर है। इस बार भी बाप, भाजपा और कांग्रेस मैदान में हैं। बाप के लिये चुनौती बड़े मार्जिन से जीती की रहेगी।
इधर, भाजपा के पुराने क़द्दावर आदिवासी नेताओं को मुख्यमंत्री के सामने अपनी क़ाबिलियत दिखाने का मौक़ा है। 69 हजार और 56 हजार ये वोटों का बड़ा गेप है। इस अंतर को देख कर साफ समझा जा सकता है कि भाजपा और कांग्रेस ने कैसे अपना जनाधार खोया है। इसलिए दोनों पार्टियों के बड़े नेता यहां से चुनाव लड़ने से पीछे हट रहे थे और नये लोगों को मौका मिल सका है। यहीं कारण है कि कांग्रेस ने युवा चेहरे महेश रोत को उतारा है। भारत आदिवासी पार्टी ने सबसे पहले अनिल कटारा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। है। बीजेपी ने कारीलाल ननोमा को उम्मीदवार बनाया है।
इस सीट पर 70 फीसदी एसटी वोटर्स हैं, जबकि 10 फीसदी ओबीसी और 20 फीसदी जनरल, अल्पसंख्यक और एससी वोटर्स हैं। 1967 से लेकर आज तक इस सीट पर 12 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें से 6 बार कांग्रेस ही इस सीट पर काबिज रही। यानी ये कहें कि चौरासी विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत रही है, लेकिन पिछली 2 बार से ये सीट राजकुमार रोत के कब्जे में रही. 2018 में बीटीपी (भारतीय ट्राइबल पार्टी) और इसके बाद 2023 में बीएपी (भारत आदिवासी पार्टी) से विधायक बने। दूसरी बार 69 हजार के बड़े अंतर से राजकुमार रोत जीते।