यदि बाप और बीटीपी दोनों दल चुनाव मैदान में होंगे तो इसका सीधा फ़ायदा BJP को मिलेगा!
कांग्रेस में नया चेहरा या एक बार फिर मिलेगा सुरेंद्र को मौका ?
चंद्रेश व्यास/ सागवाडा। विधानसभा सागवाडा में भाजपा ने अपनी तस्वीर साफ़ करते हुए एक बार फिर शंकर डेचा को मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस, बाप और बीटीपी किसे मैदान में उतारते हैं से चर्चा का विषय बना हुआ है।
टिकट मिलने के बाद भाजपा प्रत्याशी शंकर डेचा के सामने जीत के लिये की कई चुनौतियां हैं। इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए डेचा ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाक़ात का दौर शुरू कर दिया हैं। सांसद कनकमल कटारा से मुलाक़ात के बाद आज प्रधान ईश्वर सरपोटा के सहित कई भाजपा नेताओं से मुलाक़ात की। सागवाडा में भाजपा से टिकट की माँग को लेकर कई दिग्गज मैदान में थे लेकिन इस बार भी डेचा के हाथ कमल का निशान लगा है। पिछले विधानसभा और लोक सभा चुनाव की बात करें तो भाजपा यहाँ मज़बूत स्थिति में हैं हालाँकि मुकाबला कड़ा होगा।
यदि बाप और बीटीपी दोनों दल चुनाव मैदान में होंगे तो इसका सीधा फ़ायदा BJP को मिलेगा। लंबे समय से विधायक बनने की आस लगाए बैठे शंकर डेचा के लिए यह चुनाव करो या मरो की स्थिति जैसा है। इसी चुनाव पर शंकर डेचा का राजनीतिक भविष्य टिका हुआ है। इधर कांग्रेस की बात करें तो किसी ज़माने में स्व. भीखा भाई भील और उनकी परिवार कांग्रेस की केंद्र में रहा। पिछले विधानसभा चुनाव में स्व. भीखाभाई के पुत्र सुरेन्द्र बामणिया चुनाव लड़े थे। कांग्रेस तब तीसरे नंबर पर रही। हालाँकि सुरेंद्र बामणिया विधायक भी रह चुके हैं।
पिछले पाँच साल में कांग्रेस की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ है। सागवाडा ही नही वागड़ और मेवाड़ की राजनीति के केंद्र में दिनेश खोडनिया है जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काफ़ी क़रीब है। सागवाडा से अब सरपंच संघ के अध्यक्ष कैलाश रोत, ज़िला परिषद सदस्य हरिश अहारी जैसे कई नाम सामने आ रहे हैं जो टिकट की माँग कर रहे हैं। ये सागवाडा में कांग्रेस की बदलती हुई राजनीति का ही परिणाम है। इधर, दिनेश खोडनिया पहले ही कह चुके हैं कि सागवाडा से इस बार नये और युवा चेहरे को टिकट मिलेगा।