बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर इस बार भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) कांग्रेस गठबंधन के साथ मिलकर लड़ रही है। भाजपा प्रत्याशी महेंद्रजीत मालवीया कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस से भाजपा में गए। यहां के कद्दावर नेता हैं लेकिन गठबंधन और बीएपी की ओर से आदिवासी समाज का ध्रुवीकरण करने के कारण भाजपा में बेचैनी है। इसलिए रविवार को यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा करवाई गई। दूसरी ओर, बीएपी प्रत्याशी राजकुमार रोत खुलकर आदिवासी समाज के हक की बात कर रहे हैं। यहां पर 70 प्रतिशत मतदाता आदिवासी हैं। इसलिए लड़ाई रोचक है।
आपकी पार्टी बार-बार आदिवासी आरक्षण की बात करती है, ये क्या है?
अब तक बांसवाड़ा डवलप नहीं हुआ। यहां पर शिक्षा का स्तर पर बहुत कम है। गांवों में आज भी 60 से 70% टीचर के पद रिक्त हैं। यहां स्वास्थ्य फील्ड में काम नहीं हुआ है। संविधान के अनुरुप आदिवासी एरिया में रिजर्वेशन होना चाहिए।
मोदी बीएपी के बारे में कह गए-जिनकी पहचान नहीं है, उनको वोट मत देना?
यह सही है कि मोदीजी ने कहा कि बीएपी को वोट मत देना क्योंकि उनकी कोई पहचान नहीं है। लेकिन मैं आपको एक बात कहना चाहता हूं कि ये बीएपी की ही ताकत है, जिसने मोदी जी को बांसवाड़ा आने के लिए मजबूर कर दिया।
बीएपी को उग्र पार्टी कहा जा रहा है?
आदिवासी जल, जंगल और जमीन से जुड़ा है। यहां सालों से रह रहे हैं। 2006 में यूपीए सरकार के समय फोरेस्टर एक्ट बना लेकिन भाजपा अब उसको कमजोर कर रही है। जंगल को हटाना चाहते हैं ये लोग। शहरों में छह साल पुरानी जगह पर रहने वालों को पट्टा दे दिया जाता है लेकिन जंगल में सालों से रहने वालों को पट्टा नहीं दिया जाता है। सरकार आदिवासियों की जमीन पर अतिक्रमण मानकर उनको हटा देती है।
भाजपा प्रत्याशी आरोप लगा रहे हैं कि इनसे कुछ नहीं होने वाला?
मालवीया सालों से विधायक, सांसद, जिला प्रमुख, मंत्री रहे हैं। उनकी पत्नी भी जिला प्रमुख हैं। वे अब भी कह रहे हैं कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर का विकास नहीं हुआ है। जब विकास नहीं हुआ तो जिम्मेदार कौन है।
मोदी ने पहली बार मंच से दो बार मुस्लिमों का जिक्र किया है, क्या कहेंगे?
पूरी सभा में हिंदू, मुस्लिम करते रहे। प्रधानमंत्री को यह शोभा नहीं देता।