सागवाड़ा/ नगर के जलदाय विभाग के पम्पिंग स्टेशन परिसर में स्थित जलेश्वर हनुमान मंदिर सेवा, करुणा और आस्था की अनूठी मिसाल बन गया है। इस मंदिर की स्थापना 28 जून 2007 को हुई थी, और इसके पीछे की कहानी अत्यंत भावुक कर देने वाली है।
पम्पिंग स्टेशन पर कार्यरत कर्मचारी लक्ष्मणलाल ने जानकारी दी कि पहले यहां आए दिन बंदर आया करते थे और लंबे समय तक परिसर में ही रुके रहते थे। उन्हीं में से एक बुजुर्ग बंदर गंभीर रूप से बीमार हो गया। पम्पिंग स्टेशन के सभी कर्मचारियों ने उस बीमार बंदर की लगभग डेढ़ माह तक सेवा की, उसे भोजन-पानी दिया और उसकी देखभाल की।
कर्मचारियों के अनुसार, एक दिन बंदर की मौत हो गई । सभी कर्मचारियों ने मिलकर परिसर में साढ़े आठ फीट गहरा खड्डा खोदकर उसका विधिपूर्वक अंतिम संस्कार किया। इस घटना के कुछ समय बाद कर्मचारियों को सपनों में बार-बार वही बुजुर्ग बंदर दिखाई देने लगा। इसे एक संकेत मानते हुए, सभी ने मिलकर वहां हनुमानजी का मंदिर बनाने का निर्णय लिया।
जलदाय विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने अंशदान एकत्र कर मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर की प्रतिष्ठा समारोह पूर्व काबिना मंत्री कनकमल कटारा, तत्कालीन सहायक अभियंता जीवनलाल पाटीदार, तथा कनिष्ठ अभियंता कालका प्रसाद की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में नगर के गणमान्य नागरिकों ने भी भाग लिया।
पेड़ों के बीच स्थित इस मंदिर के बाहर शहर के दानदाताओं ने श्रद्धालुओं के बैठने के लिए बेंचों की व्यवस्था भी करवाई है। आज यह मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि करुणा और सेवा की भावना से किया गया हर कार्य ईश्वर की उपासना बन सकता है।