चंद्रेश व्यास/ सागवाडा। प्रदेश में भले किसी भी दल की सरकार रही हो डूंगरपुर की राजनीति का पावर सेंटर हमेशा सागवाडा ही रहा है। चइस बार बनी भाजपा सरकार में भी कुछ यही देखने को आया है। भारतीय जनता पार्टी में डूंगरपुर ज़िले से एकमात्र विधायक शंकरलाल डेचा सागवाडा से ही है। हाल ही में प्रदेश मंत्री की नियुक्ति की गई जो सागवाडा की पूर्व विधायक अनिता कटारा रहा है।
कल ही भारतीय जनता पार्टी के नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की गई। नव नियुक्त जिलाध्यक्ष हरीश पाटीदार भी सागवाडा से ही आते हैं। जिला प्रमुख सुर्या अहारी भी सागवाडा विधानसभा क्षेत्र से ही आती है जो वर्तमान में सागवाडा के ही पुनर्वास कॉलोनी में निवासरत है। नवनियुक्त जिलाध्यक्ष और जिला प्रमुख का घर तो पास पास ही है। यदि वर्तमान सांसद की बात करें तो वे भी सागवाडा से ही है। भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष कांतिलाल डामोर की बात करें तो वे भी सागवाडा विधानसभा से ही आते हैं।
यही नहीं हाल ही में भाजपा की ओर से राज्यसभा सदस्य बनाए गए चुन्नीलाल गरासिया भले ही उदयपुर में राजनीति कर रहे हो लेकिन उनका ताल्लुक़ भी सागवाडा से ही है। सागवाडा की राजनीति को आज से ही नही जिस समय से राजनीति को देखता समझता हूँ तब से डूंगरपुर ज़िले का पावर सेंटर सागवाडा बना हुआ है। पहले स्व. भीखाभाई भील की राजनीतिक विरासत देख ले या फिर पाँच साल पहले कांग्रेस के बड़े नेता दिनेश खोडनिया की राजनीतिक हैसियत की बात करे तो वागड़ की सारी राजनीति के काम काज का सेंटर सागवाडा रह।
कांग्रेस राज में तो सब ने सागवाडा के पावर को देखा और जाना। उसका लाभ भी न सिर्फ़ सागवाडा को बल्कि पूरे वागड़ को मिला। विकास कार्य की कई सौंगातें क्षेत्र को मिली। भाजपा ने डूंगरपुर जिले का पावर सेंटर भले ही सागवाडा को बना दिया है लेकिन देखने वाली बात भी यह होगी कि सागवाडा को भी इसका लाभ मिलेगा या फिर राजनीतिक खिंचातानी बढ़ेगी।