सागवाड़ा। शारदीय नवरात्र का पर्व मां दुर्गा की उपासना का महापर्व है। नौ दिन तक चलने वाले इस उत्सव में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। हर साल नवरात्र में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं। जिसका अपना विशेष महत्व होता है। इस बार यह महापर्व 22 सितबर से प्रारंभ होगा और एक अक्टूबर को इसका समापन होगा।
पण्डित अखिलेश पंड्या ने बताया कि मां जगदंबा के भक्त इस बार शारदीय नवरात्र में नौ के बजाय दस दिन तक आराधना करेंगे। क्योंकि इस बार नवरात्र दस दिन की होगी। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 सितंबर को रात 01.24 बजे से होगी। वहीं समापन 22 सितंबर को रात 02.57 मिनट पर होगा। ऐसे में नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर को होगी।
पंचांग के अनुसार घटस्थापना का शुभ मुहुर्त सुबह 6 से सुबह 7.30 बजे तक रहेगा। इसके बाद सुबह 9 से 10.30 बजे तक और अभिजित मुहूर्त सुबह 11.55 से दोपहर 12.44 बजे तक रहेगा। नवरात्र की शुरुआत सोमवार से हो रही है। देवी भागवत पुराण के अनुसार अगर नवरात्र सोमवार को शुरू हो तो देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। मां दुर्गा का हाथी से आना शुभ संकेत माना जाता है।
यह शांति, समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक है। माना जा रहा है कि यह अच्छी बारिश, भरपूर फसल और किसानों की समृद्धि का संकेत दे रहा है। इस बार शारदीय नवरात्रि पर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र श्रीवत्स योग का संयोग बन रहा है। पण्डित पण्ड्या के अनुसार नवरात्र के दौरान मां दुर्गा का वाहन उनके आगमन के दिन पर निर्भर करता है। मां दुर्गा का हाथी पर आना बेहद शुभ माना जाता है। हाथी को ऐश्वर्य, सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो यह खुशहाली का संकेत माना जा रहा है। इसके साथ ही चारों ओर सुख-समृद्धि का माहौल बनता है।
नवरात्रि में पंचमी, शनिवार 27 सितंबर को बारिश का योग भी बन रहा है। चातक वर्षा योग होने से क्षेत्र में थोड़ी- बहुत बारिश की भी संभावना रहेगी।
वर्तमान में पितृपक्ष पखवाड़ा चल रहा है। पितृपक्ष सामान्यत: 16 दिन का होता है, लेकिन इस बार एक तिथि क्षय होने से एक ही दिन में दो तिथियां पड़ रही हैं। अष्टमी व नवमी एक साथ आ रही हैं। इसके विपरीत नवरात्र में एक तिथि की बढ़ोतरी हो रही है। इसी कारण इस बार नवरात्र दस दिन का होगा और मां दुर्गा की उपासना के लिए एक दिन ज्यादा मिलेगा। वर्ष 2022 में भी शारदीय नवरात्र दस दिन तक चला था। इस बार नवरात्र के साथ शुक्ल योग का संयोग भी बन रहा है, इस लिहाज से नवरात्र अत्यंत शुभकारी रहेगा।
नवरात्र से त्योहारी सीजन प्रारंभ हो जाता है। नवरात्र, दशहरा और दीपावली तक घरों से लेकर बाजरों तक में धूम मची रहती है। पितृपक्ष समाप्ति के बाद मां जगदंबा की आराधना का पर्व नवरात्र का आगाज 22 सितबर से होगा। पण्डित पण्ड्या के अनुसार मान्यता है कि माता का सोमवार या रविवार को हाथी पर आगमन सुख-समृद्धि और अच्छी बारिश का संकेत देता है। जबकि शनिवार या मंगलवार को घोड़े पर आगमन युद्ध और राजनीतिक उथल-पुथल, गुरुवार या शुक्रवार को पालकी पर आगमन सुख-शांति और समृद्धि तथा बुधवार को नाव पर आगमन सभी मनोकामनाओं की पूर्ति का संकेत देता है।