हजारों कार सेवक सहित ग्रामीणों ने भी निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका, गोली की आवाज के बीच पैदल चले थे कार सेवक

सागवाड़ा। श्रीराम मंदिर निर्माण की कार सेवा के लिए कई कार – सेवकों ने बलिदान दिया। कार सेवकों ने गोलियों – की आवाज के मध्य अयोध्या में पहुंच कर कार सेवा की। सागावड़ा के कार सेवक हेमराज जोशी ने बताया कि पहली कार सेवा 1990 में प्रारम्भ हुई जिसमें देश भर के कार सेवक अयोध्या पहुंचे। विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा कार सेवा प्रारम्भ करने की घोषणा की थी तत्कालीन उत्तर प्रदेश मुलायम सिह सरकार ने घोषणा की अयोध्या में कोई परिन्दा पर मार नही सकता लेकीन मुख्यमंत्री के धमकी के बावजूद हजारों की संख्या में कार सेवक अयोध्या पहुंच गए।

हेमराज जोशी

तत्कालीन सरकार ने भारी संख्या में सेना सहित पुलिस जाब्ता तैनात किया। उदयपुर रेल्वे स्टेशन पहुचा। यहां से उदयपुर से भी कार सेवक थे । जयपुर पहुंचे जहां से दिल्ली गए। दिल्ली में रेलवे स्टेशन पर हाथ में एपल लेकर स्वयं सेवक मिले। उन्होंने कानपुर जाने वाली ट्रेन के प्लेट फार्म की जानकारी दी। संकेत के अनुसार कानपुर जाने वाली ट्रेन में बैठे। 27 अक्टुम्बर को कानपुर रेलवे पर में भारी जाब्ता तैनात था जो कार सेवको को गिरफ्तार कर रहा था। ऐसी स्थिति में तीन-चार का समूह बनाकर कानपुर के आर्य मंदिर पहुंचे जहां पर कार सेवको के रहने की व्यवस्था थी। रात्री विश्राम किया उस समय कानपुर में 13 पुलिस थाने थे जहां पर रात भर गोलियों की आवाजें सुनाई दे रही थी।

ये वीडियो भी देखे

कानपुर गंगा नदी पुल के दोनों ओर भारी पुलिस बल तैनात था। जो कार सेवको को अयोध्या की तरफ नही जाने दे रहे थे। 28 अक्टुम्बर प्रातः उठने के बाद अयोध्या के लिए रवाना होना चाहा तो वाहन नही मिले रहे थे। वाहनी प्रमुख ने आदेश दिया की अभी यही रूकते है पर वाहनी के करीब 10 सदस्यों ने जैसे भी हो सके, अयोध्या पहुचने की बात की। प्रमुख ने मना कर दिया। उसके बाद भी सत्यनारायण सोनी, हेमराज जोशी, विमलचन्द पालीवाल, कन्हैयालाल भाटिया, हंसमुख भावसार, अशोक दर्जी, प्रहलाद भावसार, खडगदा से निरज जोशी, दिलीप जोशी 10 सदस्य कानपुर से अयोध्या के लिए पैदल रवाना हुए गंगा पुल पर पुलिस को देखकर दो तीन जने मिलकर सामने के घाट पर नहाने जाने की बात करते हुए अलग-अलग निकले।

दूसरे घाट से पैदल उन्नाव के लिए निकले रास्ते में एक टेक्ट्रर मिला जिसने बताया की उन्नाव चौक में फैक्ट्री में स्वयम् सेवकों पर गोली बारी हुई है। दस से अधिक की मौत हो गई। फिर भी हम रूके नहीं व उन्नाव से जंगल से गांवों के रास्तों से अयोध्या के लिए रवाना हुए। देर रात होती वहीं पर रूक जाते। प्रातः उठकर रवाना होते रहे। कानपुर से करीब तीन सौ साढे तीन सौ किलोमीटर की पैदल यात्रा कर छुपते छुपाते दिनाक 2 नवम्बर को अयोध्या पहुंचे जहां एक दिन पूर्व ही तत्कालीन सरकार के आदेश पर कार सेवको पर गोली बारी कराई गई थी।

1 नवम्बर को समझोता होने के कारण कार सेवको को रामजी के दर्शन करने जाने मिले हमारा जत्था अयोध्या के नागा अखाडा में रूका । तीन नवम्बर को सरयु नदी में स्नान करने गए, नदी के अन्दर नहाते हुए पानी में कार सेवक की लाशें देखीं। रामलला के दर्शन करने पहुचे तथा दर्शन कर पुनःसागवाडा के लिए प्रस्थान किया। पैदल यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश ग्रामीण क्षेत्र का काफी सहयोग प्राप्त हुआ। पैदल चलने वाले कार सेवको की सबने खूब सेवा की। कार सेवक के रूप में पहुंचना जीवन का अविस्मरणीय क्षण है।

ad
डूंगरपुर-बांसवाड़ा ज़िले की ताज़ा ख़बरों के लिए मेरा सागवाड़ा न्यूज़ से जुड़े रहे! यहाँ पढ़े DungarpurNews & BanswaraNews और पाए Latest Rajasthan News हर पल की जानकारी। जुड़े रहे हमारे साथ और बने रहे अपडेटेड!

Leave a Comment

error: Content Copy is protected !!
92 lakh Indians in 6 countries of Middle East साइबर फ़्रॉड से बचने के लिए, ये उपाय अपनाए जा सकते हैं, जानिए क्या है? युवाओ में क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज देखने का जोश, देखना न भूले 10 वेब सीरीज Belly Fat कम करने के लिए सुबह नाश्ते में खाई जा सकती हैं ये चीजे विश्व रक्तदाता दिवस 2023 महत्व शायरी (वर्ल्ड ब्लड डोनर डे) | World blood donor day theme, quotes in hindi