विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही गांवों में चल रही चर्चा, चाय की थड़ियों पर टिकट वितरण से लेकर हार-जीत का बना रहे गणित

गांवों में सुबह से हर चाय की थड़ियों पर सुबह से चुनावी चर्चाओं का दौर शुरू होता है जो शाम होते होते बड़े दावों और हार जीत के नतीजों तक जाकर समाप्त होता है। फिर अगले दिन वहीं चुनावी चर्चा, वहीं चाय की दुकान और वहीं लोग।

सागवाड़ा। विधानसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे गांवों में भी चुनावी चर्चाओं का दौर बढ़ गया है। जिस प्रकार शहरों में चुनावी वाद-विवाद, चर्चाएं न्यूज चैनलों के स्टूडियो में होती है, वैसे ही गांवों में चाय की थड़ियों पर चुनावी चर्चाओं के दौर अलसुबह से शुरू होते है, जो देर शाम तक चलते हैं।

यह किसी एक गांव या किसी एक थड़ी का नजारा नहीं बल्कि सागवाड़ा विधानसभा के ग्रामीण इलाकों में स्थापित चाय की थड़ियों के हाल हैं। जिन पर सुबह से चुनावी चर्चाओं का दौर शुरू होता है जो शाम तक चलता है। चाय की थड़ी पर आगामी विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा किसे टिकट दिया जाए, किसे नहीं दिया जाए, कौन मजबूत रहेगा, कौन हल्का साबित होगा और किसे टिकट मिलने से किस पार्टी का उम्मीदवार चुनाव जीत सकता है या फिर दोनों राजनीतिक दलों द्वारा कुछ ऐसे उम्मीदवारों को टिकट जाए। जिससे पिछले तीन विधानसभा चुनावों जैसे निर्दलीय बाजी मार जाए। ऐसे भी गणित थड़ियों पर रोजाना बन और बिगड़ रहे हैं।

सुबह से शाम तक बन रही चुनावी रणनीतियां
भले ही आधुनिक समय में सोशल मीडिया चुनाव में अहम भूमिका निभा रहा हो,लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी ये चाय की थड़िया चुनाव में विशेष महत्व रखती है। चाय की थड़ियों के चुनाव में महत्व को देखते हुए चुनाव में तैयारी कर रहे संभावित उम्मीदवारों के समर्थक भी भली-भांति से वाकिफ है। चाय की थड़ियों पर दावेदारों के समर्थक अक्सर देखे जाते हैं तथा अपने उम्मीदवार की खूबियों को प्रमुखता से इन पर बैठे पंच पटेलों के बीच रखते है। ग्रामीण क्षेत्रों में सर्दी का हल्का दौर शुरू हो चुका है,लेकिन फिर भी चुनावी चर्चाओं के चलते सुबह करीब 5 से 6 खुलने वाली यह चाय की थड़िया देर शाम को 8 से 9 बजे खुलने लगी है।

चाय वालों की कमाई बढ़ी
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित चाय की थड़ियों के संचालकों से जब पिछले कुछ माह पूर्व और वर्तमान की आमदनी के बारे में जानना चाहा तो चाय की थड़ी चलाने वाले संचालक ने बताया कि 2 माह पहले तक जहां 6 से 7 किलो दूध की खपत होती थी। अब 8 से 10 किलो तक दूध की खपत होने लग गई है और इसमें आने वाले दिनों में और इजाफा होने की संभावना है। ऐसा हाल विधानसभा क्षेत्र की सभी थड़ियों का है।

चर्चा में ये नाम है
भाजपा
1. शंकरलाल डेचा
2. अनिता कटारा

कांग्रेस
1. सुरेंद्र बामनिया
2. कैलाश रोत
3. भास्कर बामनिया

भारत आदिवासी पार्टी
1. योगेश खाट

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