खडगदा/ होली के त्योहार पर खड़गदा गांव में नवजात बच्चों के ढूंढोत्सव की बरसों पुरानी परंपरा निभाई गई। ढोल धमाकों के साथ नवजात बच्चों को लेकर शोभायात्रा निकाली। भगवान क्षेत्रपाल दादा को खिचड़ी का भोग लगाकर प्रसाद बांटा गया। लोगों में ढूंढोत्सव को लेकर जबरदस्त उत्साह नजर आया।
चंद्रेश व्यास ने बताया कि भगवान श्री क्षेत्रपाल के सामने बच्चों को गुड़ से तौलन की परंपरा का निर्वहन किया गया। होली से पूर्व बारस पर भगवान श्री क्षेत्रपाल जी को खिचड़ा चढ़ाकर मनोकामना पूर्ण की जाती है।
खड़गदा गांव में मोरन नदी तट पर स्थित क्षेत्रपाल मंदिर में मंगलवार को श्रद्धालुओं द्वारा भगवान को खिचड़ी का भोग चढ़ाया गया। सहस्त्र औदिच्य टोलकिया ब्राम्हण समाज की ओर से संतान प्राप्ति की खुशी में भगवान क्षेत्रपाल की पूजा-अर्चना की गई। इसके बाद भगवान को खिचड़ी का भोग चढ़ाया गया। बाद गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा के रूप में क्षेत्रपाल मंदिर पहुंचे।
इस दौरान नवजात बच्चों की पहली होली पर ढूंढोत्सव के तहत रस्मे निभाई गई।मंदिर परिसर में बड़े, बुजुर्ग और बच्चों ने गुलाल से होली खेली। युवाओं ने ढोल-कुंडी की थाप पर गैर नृत्य का आनंद लिया। इस दौरान रामकथा वाचक कमलेश भाई शास्त्री, डॉ. विजय जोशी, शशिकांत पुरोहित, ईश्वरचन्द्र भट्ट, जवाहर जोशी, नवनीत भट्ट, सतीशचंद्र पुरोहित,
नीरज जोशी, रविशंकर भट्ट, हरीशचंद्र जोशी, योगेश जोशी, नरहरि भट्ट, प्रभाशंकर भट्ट, दीलिप जोशी, चंद्रेश व्यास, कुलदीप भट्ट, दीपेश भट्ट सहित कई ग्रामीण मौजूद रहे।
